चुनाव नहीं लड़ पायेंगी इरोम शर्मिला, बेकार जाएगा 16 साल बाद भूख हड़ताल तोड़ना !

नयी दिल्‍ली : मणिपुर से सैन्य बल विशेषाधिकार कानून(अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर लगातार 16 साल से अनशन में बैठी इरोम शर्मिला आखिरकार 9 अगस्‍त को अपना अनशन खत्‍म कर दिया और चुनाव लड़ने का फैसला लिया. उन्‍होंने ऐसा इसलिए किया क्‍योंकि अफस्‍पा को हटाने के लिए वो लड़ाई तो लड़ी लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2016 6:13 PM

नयी दिल्‍ली : मणिपुर से सैन्य बल विशेषाधिकार कानून(अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर लगातार 16 साल से अनशन में बैठी इरोम शर्मिला आखिरकार 9 अगस्‍त को अपना अनशन खत्‍म कर दिया और चुनाव लड़ने का फैसला लिया.

उन्‍होंने ऐसा इसलिए किया क्‍योंकि अफस्‍पा को हटाने के लिए वो लड़ाई तो लड़ी लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकला. इरोम ने इस लड़ाई को राजनीति रास्‍ते से लड़ने का मन बनाया और अपना अनशन खत्‍म करने का निर्णय लिया और चुनाव में उतरने का फैसला लिया. लेकिन उनके चुनाव लड़ने में अब बड़ी बाधा उत्‍पन्‍न हो रही है. मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो मौजूदा समय में वो चुनाव चाहकर भी नहीं लड़ पायेंगी. चुनाव लड़ने के लिए जरूरी कागजात इरोम के पास नहीं है. हालांकि इसकी व्‍यवस्‍था में इरोम के करीबी लग गये हैं.

मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार इरोम के पास न तो वोटर आईडी कॉर्ड है, न तो बैंक अकाउंट है और न ही उनके पास पैन कार्ड है. ये सभी कागजात चुनाव लड़ने के लिए जरूरी होते हैं. वैसे में अगर ये सारी कागजात इरोम के पास उपलब्‍ध नहीं होते हैं तो वो चुनाव चाहकर भी नहीं लड़ पायेंगी.

* अनशन तोड़ राजनीति में उतरना चाहती हैं इरोम

16 साल तक अनशन कर इतिहास रचने वाली इरोम शर्मिला अपनी लडा़ई दूसरे तरीके से लड़ने के लिए राजनीति का सहारा लेने का फैसला लिया और अपना अनशन खत्‍म कर दिया. अनशन तोड़ने के ठीक बाद उन्होंने मीडिया को संबोधित किया. इरोम शर्मिला ने कहा कि लोगों ने मुझे आयरन लेडी कहा है मैं इसी नाम के साथ जीना चाहती हूं. उन्होंने कहा कि राजनीति में जाने के मेरे फैसले का कट्टरपंथी लोग विरोध कर रहे हैं मैं नहीं जानती कि वो क्यों ऐसा कह रहे हैं. मैं समाज के लिए काम करूंगी.

इरोम शर्मिला ने कहा कि "मैं मणिपुर की मुख्यमंत्री बनना चाहती हूं. उन्होंने कहा कि वह 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगी, दमनकारी कानून को खत्म करेंगी. लोग मुझे अजीब महिला के तौर पर देखते हैं, वह एक आम नागरिक की तरह क्यों नहीं देख सकते हैं मुझे. मैं 20 निर्दलीय उम्मीदवारों को आमंत्रित करती हूं कि वे मुझसे जुड़ें.

* इरोम को जान से मारने की धमकी मिली

जान से मारने की धमकी मिलने की बात पर इरोम शर्मिला ने कहा कि हिंदू विरोधी बताते हुए उन्होंने जिस तरह महात्मा गांधी को मारा था, वे मुझे भी मार दें. मेरी शैक्षणिक योग्यता कम है. मैं राजनीति के बारे में बहुत कम जानती हूं. मैं बहुत कम पढ़ी हूं.

* चानू के संघर्ष का इतिहास में अहम स्थान

जानकारों की माने तो बीते 16 सालों से अनशन पर बैठीं इरोम शर्मिला चानू का संघर्ष आंदोलनों के इतिहास में अहम स्थान रखता है. उनकी मांग है कि हिंसक घटनाओं के कारण सरकार द्वारा अशांत घोषित किये गये क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र सेनाओं को मिले विशेषाधिकारों को समाप्त किया जाये. नवंबर, 2000 में मणिपुर में 10 लोगों की फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की घटना के बाद अनशन शुरू करने के तुरंत बाद से ही वे हिरासत में हैं.

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