घाटी में पेलेट गन की जगह मिर्ची के गोले किए जायेंगे इस्तेमाल!

श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई में नागरिकों के मारे जाने के मुद्दे पर कहा कि जिन्हें गोली लगी, वे दूध या टॉफी खरीदने बाहर नहीं निकले थे. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों ने महबूबा से पूछा कि कैसे वे प्रदर्शनकारियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2016 7:42 AM

श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई में नागरिकों के मारे जाने के मुद्दे पर कहा कि जिन्हें गोली लगी, वे दूध या टॉफी खरीदने बाहर नहीं निकले थे. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों ने महबूबा से पूछा कि कैसे वे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग को उचित ठहरा सकती है, जबकि 2010 में विपक्ष में रहते हुए उन्होंने नागरिकों की मौत पर सरकार की आलोचना की थी. इस पर मुख्यमंत्री ने क्रोधित होते हुए कहा कि उन्हें दो घटनाओं की तुलना नहीं करनी चाहिए. महबूबा ने कहा कि 2010 में जो हुआ उसका कारण फर्जी एनकाउंटर था. आज तीन आतंकवादी मारे गये हैं और उसके लिए सरकार को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद लोग सड़कों पर बाहर क्यों निकले, जबकि सरकार ने कर्फ्यू लागू कर रखा था. उन्होंने कहा, ‘क्या कोई बच्चा आर्मी कैंप से टॉफी खरीदने गया था. एक 15 साल का लड़का जिसने पुलिस थाने पर हमला किया (दक्षिण कश्मीर में), क्या वह दूध खरीदने गया था. उन्होंने कहा कि गरीब कश्मीरी युवाओं को कुछ निहित स्वार्थों द्वारा ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. महबूबा ने कहा कि केवल पांच फीसदी कश्मीरी हैं, जो हिंसा का सहारा ले रहे हैं. 95 फीसदी लोग हिंसा नहीं, शांति और कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत चाहते हैं. इसके तुरंत बाद महबूबा ने राजनाथ की मौजूदगी में पत्रकारों से कहा, ‘शुक्रिया, अब आप चाय पी सकते हैं.’

मिर्च भरे गोले लेंगे पैलेट गन की जगह

श्रीनगर/नयी दिल्ली. कश्मीर में पिछले 47 दिन से चल रही हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों के चोटिल होने का कारण बनी पैलेट गन का इस्तेमाल जल्द बंद किया जा सकता है. इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि अगले कुछ दिन में पैलेट गन का कोई विकल्प दिया जायेगा. उधर, सूत्रों से मिली खबर के अनुसार इन बंदूकों का विकल्प खोजने के लिए बनी विशेषज्ञ समिति ने ‘पावा गोलों’ पर अपनी सहमति दे दी है. मिर्च आधारित यह कम घातक हथियार निशाने को अस्थायी रूप से अक्षम बना देता है और वे कुछ मिनट के लिए जड़ हो जाते हैं. समिति ने इस सप्ताह के आरंभ में राष्ट्रीय राजधानी में इन गोलों का प्रदर्शन देखा और कश्मीर घाटी जैसी स्थिति तथा भीड़ नियंत्रण के लिए सुरक्षा बलों को पैलेट गन के स्थान पर इसके प्रयोग की हामी भर दी. समिति के कामकाज से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पैनल ने सिफारिश की है कि ग्वालियर स्थित बीएसएफ के टियर स्मोक यूनिट को तुरंत गोलों के उत्पादन का काम सौंप दिया जाये. पहली खेप में कम से कम 50,000 गोलों का उत्पादन किया जायेगा.

क्या है पावा

‘पावा’ का पूरा नाम पेलऑर्गेनिक एसिड वैनिलिल एमिदे है और इसे नोनिवामिदे के नाम से भी जाना जाता है. यह एक ऑर्गेनिक यौगिक है जो प्राकृतिक रूप से मिर्च में पाया जाता है. लखनऊ स्थित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् की प्रयोगशाला में पावा गोलों’ का परीक्षण एक वर्ष से ज्यादा समय से चल रहा है.

सभी से बात को सरकार तैयार : राजनाथ

जम्मू कश्मीर की जनता तक पहुंचने के केंद्र सरकार के प्रयासों के तहत एक महीने के अंदर दूसरी बार राज्य के दौरे पर पहुंचे राजनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’ के दायरे में जम्मू कश्मीर में सामने आने वाली समस्याओं पर किसी से भी बात करने को तैयार है. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की मौजूदगी में सिंह ने अपनी कश्मीर यात्रा के दूसरे और अंतिम दिन संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल घाटी आएगा और देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले कश्मीरियों की किसी तरह की चिंता पर ध्यान देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जायेगी. सिंह ने कहा कि भारत का भविष्य कश्मीर के भविष्य के साथ जुड़ा है. अगर कश्मीर का भविष्य सुरक्षित नहीं है, तो भारत का भविष्य भी सुरक्षित नहीं हो सकता.

युवाओं को समझाएं, घाटी के भविष्य से नहीं खेलें
सिंह ने कहा कि सुरक्षा बल घाटी में प्रदर्शनकारियों से निपटने में संयम बरतते हैं. हालात से निपटने में 4,000 से अधिक जवान घायल हो गये. सिंह ने कहा कि मैं कश्मीर में सभी लोगों से अपील करता हूं कि घाटी के भविष्य के साथ नहीं खेलें. सिंह ने कहा कि कश्मीर के युवाओं के हाथ में पत्थरों के बजाय किताबें और कलम होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि समस्या पैदा करने वाले लोगों को पहचानने की और गुमराह हो गये युवकों को समझाने की जरूरत है.

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