बोले पीएम मोदी, कोई भी देश अकेला विकास नहीं कर सकता

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग में ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया पर भाषण देते हुए कहा कि हर देश के अपने संसाधन, अनुभव और शक्ति होती है. आज सभी देश एक-दूसरे पर निर्भर और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.उन्होंने कहा कि कोई भी देश अकेले विकास नहीं कर सकता है. हमें कानून बदलने हैं, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2016 12:08 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग में ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया पर भाषण देते हुए कहा कि हर देश के अपने संसाधन, अनुभव और शक्ति होती है. आज सभी देश एक-दूसरे पर निर्भर और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.उन्होंने कहा कि कोई भी देश अकेले विकास नहीं कर सकता है. हमें कानून बदलने हैं, गैरजरूरी प्रक्रियाओं को हटाना है, प्रक्रिया तेज करनी है और तकनीक को अपनाना है. शासन में बदलाव मानसिकता में बदलाव के बिना संभव नहीं है, नए विचारों के बिना यह संभव नहीं हो सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के तीव्र परिवर्तन के बारे में विचार प्रकट करते हुए आज कहा कि इसके लिए देश को कानूनों में बदलाव, अनावश्यक औपचारिकताओं को समाप्त करने और प्रक्रियाओं को तीव्र करने की आवश्यकता है क्यों कि ‘‘ केवल रत्ती-रत्ती प्रगति’ से काम नहीं चलेगा. मोदी ने नीति आयोग की ओर से यहां आयोजित ‘भारत परिवर्तन’ विषय पर पहला व्याख्यान देते हुए कहा, ‘‘ यदि भारत को परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना है तो केवल रत्ती-रत्ती आगे बढने से काम नहीं चलेगा. आवश्यकता कायाकल्प की है. इसलिए भारत में मेरा विचार है कि यहां रत्ती-रत्ती प्रगति नहीं बल्कि तीव्र परिवर्तन हो.’ राज-काज में बदलाव के जरिए परिवर्तन लाने की जरुरत पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि यह काम 19वीं सदी की प्रशासनिक प्रणाली के साथ नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा, ‘‘राज-काज बदलाव मानसिकता में बदलाव के बिना नहीं हो सकता और मानसिकता में बदलाव तब तक नहीं होगा जब तक की विचार परिवर्तनकारी न हों.’ मोदी ने कहा, ‘‘हमें कानूनों में बदलाव करना है, अनावश्यक औपचारिकातओं को समाप्त करना है, प्रक्रियाओं को तेज करना है और प्रौद्योगिकी अपनानी है. हम 19वीं सदी की प्रशासनिक प्रणाली के साथ 21वीं सदी में आगे नहीं बढ सकते।’ श्रोताओं में मोदा का पूरा मंत्रिमंडल उपस्थित था. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बदलाव वाह्य और आंतरिक दोनों कारणों से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर देश के अपने अनुभव, संसाधन और ताकत होती है.

उन्होंने कहा, ‘‘ हो सकता है, तीस साल पहले देशों की दृष्टि केवल अपने अंदर तक ही सीमित रहती हो और वे अपने समाधान अपने अंदर से ही ढूंढते रहे हों. पर आज देश परस्पर निर्भर पर एक दूसरे से जुडे हुए हैं. आज कोई देश अपने को दूसरों से अलग रख कर विकास नहीं कर सकता. हर देश को अपने काम को वैश्विक कसौटियों पर कसना होता नहीं, किसी ने ऐसा नहीं किया तो वह पीछे छूट जाएगा.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलाव की आवश्यकता आंतरिक वजहों से भी आवश्यक है. आज युवा पीढी की आकांक्षाएं इतनी उंची हो गयी हैं कि कोई सरकार अतीत में अटकी नहीं रह सकती है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रशासनिक मानसिकताओं में समान्यत: कोई बुनियादी बदलाव तभी आत है जब कि अचानक कोई झटका लगे या संकट खडा हो जाए. उन्होंने कहा, भारत में एक मजबूत लोकतांत्रिक राजव्यवस्था है. इसके बीच कायाकल्प करने वाले बदलाव लागने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर हम किताबों या लेखों से नए विचार प्राप्त कर सकते हैं. किताबें हमारे मस्तिष्क का दरवाजा खोलती हैं. पर जब तक हम सब मिल कर विचार मंथन नहीं करते, वे विचार व्यक्तियों के मस्तिष्क में ही सीमित रहते हैं.’ मोदी ने कहा कि एक ऐसा समय था जबकि माना जाता था कि विकास पूंजी और श्रम की उपलब्धता पर निर्भर करता है, पर आज यह संस्थानों और विचारों की गुणवत्ता भी उतना ही महत्वपूर्ण हो गयी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल नेशनल इंस्टिट्यूट फार ट्रांसफार्मिग इंडिया आयोग (नीति आयोग) नाम से एक नई संस्था खडी की गयी. नीति की स्थापना प्रमाणों पर आधारित शोध करने वाली एक संस्था के रुप में की गयी है जो भारत के कायाकल्प के लिए राहें सुझा सके. उन्होंने कहा कि नीति का काम यह भी है कि वह देश विदेश के विशेषज्ञों के साथ सहयोग कर बाहर से प्राप्त विचारों को भी सरकार की प्रमुख नीतियों के साथ जोडवा सके.

मोदी ने कहा कि इस संस्था को बाकी दुनिया विश्व, वाह्य विशेषज्ञों और नीतियों को लागू करने वालों आदि के साथ भारत सरकार के संपर्क सूत्र की भी भूमिका निभानी है. साथ ही इसे एक ऐसे उपकरण के रप में काम करने है जिसके माध्यम से बाहरी विचारों को देश की नीतियों में समायोजित किया जा सके. मोदी ने कहा कि नए सुझाव सुन और समझ तो लिए जाते हैं पर उन पर काम नहीं होता क्योंकि यह काम किसी एक व्यक्ति के वश का नहीं होता. ‘‘यदि हम साथ बैठें तो हमारे अंदर इन विचारों क्रियान्वित करने की एक सामूहिक शक्ति होगी.’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें सामूहिक तौर पर अपने अपने मस्तिष्क के द्वार खोलने, उसमें नई, वैश्विक सोच को जगह देने की जरुरत है. ऐसा करने के लिए हमें व्यक्तिगत की जगह सामूहिक रुप से नए विचार ग्रहण करने होंगे. इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करने की जरुरत है.’ केंद्र और राज्य सरकारों की लंबी प्रशासनिक परंपरा है जिसमें ऐतिहासिक रुप से देशी और विदेशी विचार शामिल हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रशासनिक परंपरा कई तरीके से भारत के लिए अच्छे काम की रही है. सबसे बढ कर इसने वैभवपूर्ण विविधता वाले इस देश में लोकतंत्र, संघीय व्यवस्था, एकता और अखंडता की रक्षा की है. यह कोई छोटी उपलब्धियां नहीं हैं. फिर भी हम अब एक ऐसे दौर में रहते हैं जाहां बदलाव ही निरंतर है, और हम परिवर्तनशील हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सत्ता संभालने के बाद से वे बैंकरों, पुलिस अधिकारियेां और सरकारी सचिवों के साथ खुल कर विचार विमर्श करते रहे हैं और इससे निकले किसी भी तरह के विचार को नीतियों में शामिल किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ये प्रयास सरकार के अंदर के ही नए विचार प्राप्त करने के लिए है. अगला कदम बाहर से विचार हासिल करने का है. सांस्कृतिक तौर पर भारतीय हमेशा ही कहीं से भी आने वाले विचारों को देखने सुचनने को तैयार रहते हैं.’ उन्होंने कहा कि इसको ध्यान में रख कर भारत का कायाकल्प शीर्षक यह व्याखान-माल शुरू की जा रही है. मोदी ने कहा, ‘‘हम ऐसे विख्यात व्यक्तियों के विचारों और ज्ञान से अच्छी बातें ग्रहण करेंगे जिन्होंने कइयों के जीवन में बदलाव लाया या अपने देश को इस धरती पर एक अधिक अच्छी जगह बनाने के लिए कुछ बदलावों को प्रोरित किया. ‘

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस व्याख्यान में उपस्थित सभी लोगों से विस्तृत और स्पष्ट प्रतिक्रिया मिलने से इस प्रक्रिया में सुधार होगा. भारत और यहां से बाहर के विशेषज्ञों के नाम सुझाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर आगे सभी सरकारी सचिव हफ्ते भर में चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य है आज के सत्र में उभरे विचारों को हर समूह से जुडे संबद्ध विशिष्ट कार्यबिंदुओं को विचार में परिवर्तित करना. जहां भी संभव हो मैं मंत्रियों से आग्रह करुंगा कि वे भी इन सत्रों में भागीदारी करें.’

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