POK से आए शरणार्थियों के लिए मोदी सरकार लायेगी 2000 करोड़ का पैकेज

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) तथा गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों से संबंधों की पहल के बीच सरकार देश में रह रहे पीओके के विस्थापित लोगों के लिए दो हजार करोड रुपये के पैकेज की घोषणा करने वाली है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंजूरी के लिए गृह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2016 10:05 AM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) तथा गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों से संबंधों की पहल के बीच सरकार देश में रह रहे पीओके के विस्थापित लोगों के लिए दो हजार करोड रुपये के पैकेज की घोषणा करने वाली है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय जल्द ही पैकेज को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रख सकता है. जम्मू कश्मीर सरकार ने पैकेज वितरण के लिए 36,348 परिवारों की पहले ही पहचान कर ली है जिसके तहत प्रत्येक परिवार को लगभग साढे पांच लाख रुपये मिलेंगे. अधिकारी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि एक महीने के भीतर पैकेज को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल जाएगी और कोष लाभार्थियों में बांटा जा सकेगा.’

पश्चिमी पाकिस्तान, ज्यादातर पीओके से आए शरणार्थी जम्मू, कठुआ और राजौरी जिलों के विभिन्न हिस्सों में बस गए हैं. हालांकि वे जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुसार राज्य के स्थाई निवासियों की श्रेणी में नहीं आते. कुछ परिवार 1947 में भारत के बंटवारे के समय विस्थापित हो गए थे और अन्य परिवार 1965 तथा 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्धों के दौरान विस्थापित हुए थे. विस्थापित लोग लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में वे वोट नहीं डाल सकते.

पीओके के विस्थापित लोगों का प्रतिनिधित्व कर रही जम्मू कश्मीर शरणार्थी कार्य समिति (जेकेएसएसी) का कहना है कि पैकेज को अंतिम बंदोबस्त नहीं समझा जाना चाहिए क्योंकि उन सभी के बंदोबस्त के लिए 9,200 करोड रुपये की आवश्यकता है. जम्मू कश्मीर में बसे पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों की समस्याओं पर विचार करने के बाद मोदी सरकार ने जनवरी 2015 में शरणार्थियों के लिए कुछ रियायतें मंजूर की थीं.

रियायतों में इन लोगों को अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती करने के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाने, राज्य में समान रोजगार अवसर उपलब्ध कराने, शरणार्थियों के बच्चों को केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला देने जैसे कई कदम शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर की स्थिति पर चर्चा के लिए 12 अगस्त को आयोजित सर्वदलीय बैठक में पहली बार पीओके, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान के लोगों की दशा के बारे में बात की थी.

मोदी ने इसके तीन दिन बाद स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में एक बार फिर पाकिस्तान के कब्जे वाले इन तीनों क्षेत्रों का जिक्र किया था. सरकार ने अपने नये कूटनीतिक कदम के तहत कहा है कि पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू कश्मीर का हिस्सा हैं. ऐसी खबरें हैं कि सरकार बेंगलूरु में आयोजित होने वाले अगले प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर पीओके, गिलगित-बाल्टिस्तान से ताल्लुक रखने वाले समुदायों को आमंत्रित करने की योजना बना रही है.

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