मुख्यमंत्री जनलोकपाल के दायरे में, भ्रष्टाचार के लिए हो सकती है आजीवन कारावास
नयी दिल्ली,: जनलोकपाल विधेयक में भ्रष्टाचार के लिए आजीवन कारावास की अधिकतम सजा होगी जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय को भी इसके दायरे में लाया गया है. इस विधेयक पर चर्चा के बाद इसे पारित करने के लिए दिल्ली विधानसभा का 13 फरवरी से विशेष सत्र बुलाया गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज बताया, ‘‘मसौदा विधेयक […]
नयी दिल्ली,: जनलोकपाल विधेयक में भ्रष्टाचार के लिए आजीवन कारावास की अधिकतम सजा होगी जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय को भी इसके दायरे में लाया गया है. इस विधेयक पर चर्चा के बाद इसे पारित करने के लिए दिल्ली विधानसभा का 13 फरवरी से विशेष सत्र बुलाया गया है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज बताया, ‘‘मसौदा विधेयक में अधिकतम सजा आजीवन कारावास और छह माह की जेल की न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है. जांच के लिए 12 माह का अधिकतम समय रखा गया है.’’ उन्होंने कहा कि दोषी पाये गये या सेवा से बर्खास्त किये गये व्यक्ति को पेंशन सहित कोई भी सरकारी लाभ नहीं मिलेगा.
अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के साथ डीडीए, एनडीएमसी एवं दिल्ली पुलिस को भी इस विधेयक के दायरे में रखा गया है.इस प्रावधान का केंद्र विरोध कर सकता है क्योंकि उक्त तीनों एजेंसियां गृह मंत्रलय को सीधे रिपोर्ट करती हैं.
मसौदा विधेयक के अनुसार दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा का लोकायुक्त में विलय कर दिया जायेगा. लोकायुक्त भ्रष्टाचार आरोपों तथा भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन के लिए स्वत: संज्ञान ले सकता है. लोकायुक्त में दो शाखाएं. जांच शाखा एवं अभियोजन शाखा होगी.