भारत और अमेरिका के बीच हुए रक्षा करार से उड़ी चीन की नींद

नयी दिल्ली/वाशिंगटन : भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग समझौते से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ चुकी है हालांकि चीन इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा है. उसने इस करार को दोनों देशों के बीच सामान्य सहयोग बताया है जबकि इसको लेकर चीन का मीडिया भारत से बेहद खफा है. उसने चेताया है कि अमेरिकी खेमे में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2016 7:53 AM

नयी दिल्ली/वाशिंगटन : भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग समझौते से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ चुकी है हालांकि चीन इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा है. उसने इस करार को दोनों देशों के बीच सामान्य सहयोग बताया है जबकि इसको लेकर चीन का मीडिया भारत से बेहद खफा है. उसने चेताया है कि अमेरिकी खेमे में जाने की भारत की कोशिश से चीन, पाकिस्तान और रूस की नाराजगी बढ़ सकती है.

आपको बता दें कि भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय सामरिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए एक विशद साजो-सामान आदान-प्रदान करार पर हस्ताक्षर किये हैं, जिससे दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे की सुविधाओं एवं ठिकानों का उपकरणों की मरम्मत एवं आपूर्ति को सुचारु बनाये रखने के लिए उपयोग कर सकेंगे. इससे उनके संयुक्त अभियानों की दक्षता में इजाफा होगा. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर एवं अमेरिकी रक्षा सचिव एश्टन कार्टर ने ‘साजो-सामान आदान-प्रदान सहमति करार’ (एलइएमओए) पर हस्ताक्षर किये.

पर्रीकर ने कहा कि इससे व्यावहारिक संबंध एवं आदान-प्रदान के लिए अवसर का सृजन होगा. एलइएमओए से भारत एवं अमेरिका के बीच साजो-सामान सहयोग, आपूर्ति एवं सेवाओं का उसकी पुन:पूर्ति के आधार पर प्रावधान होगा. इसमें खाना, पानी, वस्त्र, परिवहन, पेट्रोलियम, तेल, लुब्रिकेंट, परिधान, चिकित्सा सेवाएं, कलपुर्जे एवं उकरण, मरम्मत एवं देखभाल सेवाएं, प्रशिक्षण सेवाएं तथा अन्य साजो-सामान की वस्तुएं एवं सेवाएं शामिल हैं. पर्रीकर ने स्पष्ट किया कि (समझौते में) भारत में किसी तरह का सैन्य अड्डा या किसी तरह की गतिविधि स्थापित करने का कोई प्रावधान नहीं है. करार पर हस्ताक्षर होने के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘वे इस तंत्र पर सहमत हुए कि इस प्रारूप से रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार सहयोग में अभिनव एवं आधुनिक अवसरों के अवसर मिलने में सुविधा होगी.

अमेरिका अपने स्तर पर भारत के साथ रक्षा व्यापार एवं प्रौद्योकिगी को बढ़ाने पर सहमत हुआ है तथा यह भारत को उस स्तर के बराबर ले जायेगा, जो उसके नजदीकी सहयोगी एवं भागीदारों को प्राप्त है. बयान के अनुसार, दोनों देशों के बीच के रक्षा संबंध उनके ‘साझा मूल्यों एवं हितों’ तथा ‘वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के प्रति उनकी स्थायी प्रतिबद्धता’ पर आधारित हैं.

चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ी

भारत और अमेरिका के बीच सैन्य साजो-सामान हस्ताक्षर के बाद चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ गयी है. दोनों देशों में साफ तौर पर बेचैनी देखी जा रही हैं. दोनों देशों के मीडिया में कहा जा रहा है कि इस समझौते से चीन और पाकिस्तान पर सीधा असर होगा. पाकिस्तानी और चीनी मीडिया में कहा जा रहा है कि एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव के लिए अमेरिका और भारत इस एग्रीमेंट को अंजाम दिया है.

पिछलग्गू न बने भारत

इस समझौते को लेकर चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि बेशक यह अमेरिका और भारत के सैन्य सहयोग में एक बड़ा कदम है. यदि भारत अमेरिकी गंठबंधन के तंत्र में जल्दबाजी में शामिल हो जाता है, तो इससे चीन, पाकिस्तान और यहां तक कि रूस भी नाराज हो सकता है. ग्लोबल टाइम्स ने चेतावनी दी है कि यह समझौता नयी दिल्ली को वाशिंगटन का ‘पिछलग्गू’ बना सकता है.

Next Article

Exit mobile version