रीयल एस्टेट में आनेवाली हैं 7.5 करोड़ नौकरियां
दुनिया की कुल 7.4 अरब आबादी में से लगभग 1.25 अरब आबादी भारत देश की निवासी है, जो कुल वैश्विक आबादी की 17 फीसदी है. यानी दुनिया के हर छठवें व्यक्ति की आवास-विकास जैसी तमाम जरूरतें भारतीय भौगोलिक क्षेत्र में पूरी होती हैं. सरकार ने 2022 तक ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ जैसी योजनाओं द्वारा हर परिवार […]
दुनिया की कुल 7.4 अरब आबादी में से लगभग 1.25 अरब आबादी भारत देश की निवासी है, जो कुल वैश्विक आबादी की 17 फीसदी है. यानी दुनिया के हर छठवें व्यक्ति की आवास-विकास जैसी तमाम जरूरतें भारतीय भौगोलिक क्षेत्र में पूरी होती हैं. सरकार ने 2022 तक ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ जैसी योजनाओं द्वारा हर परिवार को घर मुहैया कराने का लक्ष्य तय कर रखा है. हाउसिंग फॉर ऑल के अलावा स्मार्टसिटी, अम्रुत, हृदय जैसे कुछ अन्य योजनाएं न केवल लोगों के जीवन यापन की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास हैं, बल्कि ऐसी योजनाएं प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार के नये आयाम भी खोल रही हैं.
विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर की तेजी से बढ़ती भागीदारी रीयल एस्टेट सेक्टर को व्यापक बना रही है. हाल ही में नेशनल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नरेडको) और केपीएमजी इंडिया द्वारा जारी संयुक्त रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2022 तक, यानी अगले पांच से छह वर्षों में रीयल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र में साढ़े सात करोड़ से अधिक नौकरियां आयेंगी. जिस तेज से यह सेक्टर तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहा है, उसके अनुसार 2030 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कंस्ट्रक्शन व रीयल एस्टेट बाजार बन जायेगा.
शहरीकरण से रीयल
एस्टेट में बूम
पिछले कुछ दशकों में देश में शहरीकरण की प्रक्रिया तेज हुई. सबसे अधिक रोजगार देनेवाले कृषि क्षेत्र में स्थायी रोजगार की कमी के चलते गांवों से शहरों की तरफ तेजी से पलायन हुआ है. इन लोगों के लिए रोजगार देने में निर्माण और रीयल एस्टेट सेक्टर की भूमिका सबसे अधिक रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक शहरी आबादी में 40 फीसदी बढ़ोतरी हो जायेगी. यानी 2015 में कुल शहरी आबादी 42 करोड़ से बढ़ कर 2030 में 58 करोड़ हो जायेगी. एक अनुमान के मुताबिक एक करोड़ लोग प्रतिवर्ष शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. इससे 2025 तक जीडीपी में शहरी क्षेत्र का योगदान 70-75 फीसदी हो जायेगा.
वर्तमान में 6 करोड़ मकानों की जरूरत है, जो 2022 तक 11 करोड़ हो जायेगी. इसके अलावा सैकड़ों इन्फ्रॉस्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं. इनमें 432 प्रोजेक्ट मार्गों से, 400 से अधिक प्रोजेक्ट रेलवे से, 75 प्रोजेक्ट एयरपोर्ट के विकास से जुड़े हैं. निर्माण क्षेत्र में कुशल प्रोफेशनल की मांग लगातार बनी हुई है. ऐसे में सही कैरियर चुनने की दिशा में उठाया गया कदम आपको लक्ष्य तक पहुंचाने में मददगार साबित होगा.
रीयल एस्टेट प्रोफेशनल का मतलब
सामान्य अर्थों में समझें, तो रीयल एस्टेट का मतलब स्थायी संपत्तियों के लेन-देन से जुड़ा व्यापार या पेशा है. अमूमन इस प्रोफेशन में आवासीय संपत्तियों और व्यावसायिक संपत्तियों से जुड़ी खरीद-बिक्री होती है. रीयल एस्टेट एजेंट या रीयल एस्टेट ब्रोकर संपत्तियों के खरीदार और ब्रिकीकर्ता के बीच एक माध्यम की तरह होते हैं. इससे लोगों की जरूरतों-मसलन, भुगतान, बीमा, ग्राहकों से सौदेबाजी जैसे कार्यों को दक्षता के साथ करना होता है. ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए कुछ जरूरी गुण होते हैं, जो पढ़ाई के साथ-साथ अनुभव से भी हासिल किये जाते हैं. रीयल एस्टेट मैनेजर के रूप में निवेश से जुड़े कार्यों के साथ-साथ वित्तीय और प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेवारी निभानी होती है.
रीयल एस्टेट मुख्यत: प्रबंधन से जुड़ा क्षेत्र हैं, जहां आपको रिस्क मैनेजमेंट, मार्केट रिसर्च, लॉ, मार्केटिंग और इन्फ्रॉस्ट्रक्चर फाइनेंस जैसे कार्य एक साथ करने होते हैं.
कौशल से बनती हैं राहें आसान
रीयल एस्टेट कारोबार मुख्य रूप से दो प्रकार से होता है-आवासीय संपत्तियों और व्यावसायिक संपत्ति से जुड़ा कारोबार. दोनों ही क्षेत्रों में ग्राहकों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए रीयल एस्टेट मैनेजर को एक रणनीति के तहत काम करना होता है. इसमें मार्केट के उतार-चढ़ाव पर नजर रखने के साथ-साथ समझौता या करार करने का गुण होना चाहिए. रीयल एस्टेट एवं इन्फ्रॉस्ट्रक्चर सेक्टर में तकनीकी और बिजनेस क्षेत्र में से एक को चुनने से पहले, यदि आपके पास डिग्री या डिप्लोमा है, तो आप आसानी से इस क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकते हैं.
तकनीकी साइड में जाने के लिए आपके पास सिविल इंजीनियरिंग या कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग में डिग्री या डिप्लोमा होना चाहिए, वहीं बिजनेस के लिए आपके पास मार्केटिंग या बिजनेस कम्युनिकेशन में एमबीए डिग्री या मैनेजमेंट डिप्लोमा होना आवश्यक है.
इन बातों का रखें ध्यान, तोबढ़ेगा कैरियर ग्राफ
रीयल एस्टेट सेक्टर में कैरियर ग्रोथ काफी हद आपकी नेटवर्किंग और मार्केटिंग स्किल पर निर्भर होता है. बिजनेस को बढ़ाने, प्लॉट, मकान और आवासीय व व्यावसायिक परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए आपके मजबूत संबंध बिजनेस बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
– विश्वास जीतने का हो लक्ष्य : आवासीय या व्यावसायिक परिसंपत्तियों के बिजनेस को बढ़ाने में रीयल एस्टेट एजेंट की भूमिका काफी अहम होती है. इस क्षेत्र में निवेश के लिए ग्राहक का विश्वास जीतना एक चुनौती की तरह होता है. इसके लिए आपके अंदर ग्राहक को लाभ का विश्वास दिलाने के साथ-साथ तथ्यों को ठीक-ठीक प्रस्तुत कर पाने का गुण होना चाहिए.
– बाजार की बारीक समझ : आर्थिक मंदी के दौर में लगभग सभी सेक्टर किसी न किसी प्रकार से प्रभावित होते हैं. रीयल एस्टेट सेक्टर का बिजनेस काफी हद बाजार के मूड पर निर्भर होता है.
इस सेक्टर में अपनी मजबूत पकड़ बनाये रखने के लिए जरूरी है कि आप मार्केट के मिजाज के बारीकी से परखने में सक्षम हों.
– मेहनत पर निर्भर होती है कामयाबी : यह सार्वभौमिक सत्य है. रीयल एस्टेट सेक्टर में आप अकेले काम शुरू करके मेहनत और ठोस योजना के बल पर कामयाबी के रास्ते पर तेजी से बढ़ सकते हैं. यदि आप रीयल एस्टेट एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं, तो आपकी सफलता निवेश प्रक्रिया की तेजी पर निर्भर रहेगी.