भारत हिंद महासागर क्षेत्र संगठन के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध : जयशंकर

सिंगापुर : हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ गहरे आर्थिक और नौवहन सुरक्षा संबंधों के इच्छुक भारत ने आज कहा कि वह अपने संबंधों को विस्तार देने के तहत हिंद महासागर क्षेत्र संगठन (आईओआरए) के निर्माण को प्रतिबद्ध है. विदेश सचिव एस जयशंकर ने यहां हिंद महासागर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2016 3:57 PM

सिंगापुर : हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ गहरे आर्थिक और नौवहन सुरक्षा संबंधों के इच्छुक भारत ने आज कहा कि वह अपने संबंधों को विस्तार देने के तहत हिंद महासागर क्षेत्र संगठन (आईओआरए) के निर्माण को प्रतिबद्ध है. विदेश सचिव एस जयशंकर ने यहां हिंद महासागर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर अपने मुख्य संबोधन में कहा, ‘इस संगठन के विस्तार और इसकी गतिविधियों को तेजी प्रदान करने में हम समर्थन देंगे जिनमें नवीकरणीय ऊर्जा, समुद्रीय अर्थव्यवस्था से नौवहन सुरक्षा, जल विज्ञान और संस्थागत तथा थिंक टैंक नेटवर्किंग शामिल है.’

उन्होंने कहा, ‘हिंद महासागर के इतिहास और परंपराओं को देखते हुए यह कहना उचित होगा कि इसकी समरसता के संवर्धन के गंभीर प्रयासों से इसकी अखंडता और पहचान से जुडे मुद्दों को सुलझाया जाएगा.’ जयशंकर ने कहा, ‘हमें हिंद महासागर में फैले दोस्ती और परिवार के संबंधों का पूर्ण फायदा उठाना चाहिए जो कि इसके इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.’

विदेश सचिव ने ‘मौसम परियोजना’ की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि लेकिन और सक्रिय पहलों की जरुरत है जो सांस्कृतिक, वाणिज्यिक तथा धार्मिक संवाद पर पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक शोध को प्रोत्साहित करती हों. जयशंकर ने इस क्षेत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का खाका भी पेश किया.

उन्होंने कहा, ‘हम हमारे करीब 1200 द्वीपों का तेजी से विकास करने पर भी सोच रहे हैं. रेल और सडक संपर्क परियोजनाएं अंदरुनी ढांचागत प्रभावशीलता में सुधार की वाहक हैं. इसमें दिल्ली मुबई औद्योगिक कोरिडोर पर तेजी से काम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.’ विदेश सचिव ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि इसमें पूर्वी कोरिडोर और बेंगलूर से चेन्नई तक का दक्षिणी कोरिडोर भी शामिल होगा. यदि आप इन ढांचागत पहलों को मेक इन इंडिया कार्यक्रम के साथ मिलाकर देखें तो इसके हिंद महासागर पर प्रभाव स्पष्ट दिखते हैं.’

उन्होंने 21 सदस्य देशों के 300 से अधिक प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यह बात कही. जयशंकर ने हिंद महासागर के आसपास के भीतरी इलाकों के विकास की सीमाओं पर भी अपने विचार रखे. बाद में एक सवाल जवाब सत्र में भारत के निकट पडोस के संबंध में उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई सवाल ही नहीं है. हमारी विदेश नीतियों में हमारे लिए सबसे बडी समस्या हमारे करीबी पडोसी हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि पडोस में मुश्किल काम को करने की जरुरत है लेकिन मैं फिर से कहूंगा कि यदि आप रिकार्ड को देखें भारत बांग्लादेश संबंधों को देखें मैं सोच भी नहीं सकता कि किसी ने कुछ साल पहले ऐसा सोचा भी होगा.’ उन्होंने म्यामांर या श्रीलंका के साथ भी संबंधों के विस्तार की संभावनाओं को रेखांकित किया. जयशंकर ने कहा, ‘यदि हम अपने पडोसियों के साथ संवेदनशील समरसता में नहीं हैं तो हमारे पास उनसे आगे जाकर काम करने की विश्वसनीयता नहीं है.’

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