नयी दिल्ली : सीबीआई ने आज हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और यूपीएससी के एक वर्तमान सदस्य के आवास समेत 20 स्थानों पर तलाशी ली है. यह मामला गुडगांव में भूमि के अधिग्रहण में कथित अनियमितता का है जिसमें किसानों को 1,500 करोड रुपये की चपत लगाई गई है. सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक एजेंसी के दल ने हुड्डा के आवास के साथ ही दो पूर्व आईएएस अधिकारियों – तत्कालीन प्रधान सचिव एम एल तयाल और यूपीएसएसी के सदस्य छत्तर सिंह के अलावा वर्तमान आईएएस अधिकारी एसएस ढिल्लन के परिसर की भी तलाशी ली है.
सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौर ने बताया, ‘गुडगांव में किसानों से जमीन की खरीदारी में कथित अनियमितता के मामले में जारी जांच के तहत सीबीआई ने रोहतक, गुडगांव, पंचकूला और दिल्ली में 20 स्थानों पर छापेमारी की.’ एजेंसी ने इस मामले में पिछले साल सितंबर में मामला दर्ज किया था. आरोप है कि 27 अगस्त 2004 से 24 अगस्त 2007 के बीच निजी बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के अज्ञात अधिकारियों की मिलीभगत से मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के किसानों और अन्य भूस्वामियों से लगभग 400 एकड जमीन बेहद कम दाम में खरीदी. इसके लिए उन्हें सरकारी अधिग्रहण का डर दिखाया गया था.
आरोप है कि इस प्रक्रिया में पहले तो हरियाणा सरकार ने गुडगांव जिले के गांव मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में औद्योगिक मॉडल टाउनशिप की स्थापना के लिए 912 एकड जमीन के अधिग्रहण के लिए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिसूचना जारी की थी. लेकिन बाद में निजी बिल्डरों ने भूस्वामियों को सरकार द्वारा सस्ती दर पर अधिग्रहण का डर दिखाकर कथित तौर पर उनसे जमीन हथिया ली.
आरोप है कि सक्षम प्राधिकरण यानी उद्योग निदेशालय ने 24 अगस्त, 2007 को इस भूमि को अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर कर दिया. आरोप है कि भूमि को अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर करना सरकारी नीति का उल्लंघन है और यह कदम वास्तविक भूमालिकों के बजाए बिल्डरों, उनकी कंपनियों और एजेंटों के पक्ष में है. सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि इस तरह लगभग 400 एकड भूमि जिसकी बाजार में उस वक्त कीमत प्रति एकड चार करोड रुपये से अधिक थी.
इस तरह, कुल मिलाकर इसकी कीमत लगभग 1,600 करोड रुपये थी उसे निजी बिल्डरों और अन्य लोगों ने भोलेभाले भूमालिकों से कथित तौर पर महज 100 करोड रुपये में खरीद लिया. इसमें आरोप लगाया गया है कि इस तरह गुडगांव के गांव मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के भूमालिकों को 1,500 करोड रुपये का घाटा हुआ है.