नयी दिल्ली: केंद्र जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की विदेश यात्रा कठिन बनाकर तथा उनकी सुरक्षा कम कर उनके प्रति अपना रूख कडा कर सकता है. सरकारी खजाने की कीमत पर उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाती है.सांसदों की अलगाववादियों द्वारा जानबूझकर अनदेखी किये जाने से नाखुश केंद्र कुछ मामलों में उनका पासपोर्ट वापस लेकर तथा यात्रा दस्तावेजों से इनकार कर उनकी विदेश यात्राओं पर अंकुश लगाने के कदमों पर विचार कर रहा है.
राज्य के दौरे पर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सांसदों ने अलगाववादियों से मिलने की कोशिश की थी. सरकारी सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा, केंद्र उनके बैंक खातों को भी खंगालेगा तथा उनके विरुद्ध दर्ज मामलों की लंबित जांच भी पूरी करेगा ताकि जमीनी स्तर पर इस बात का कड़ा संदेश जाए कि कश्मीर घाटी म आठ जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से अशांति पैदा करने के लिए युवकों को भड़काने वालें को बख्शा नहीं जाएगा.
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति के बाद गृह मंत्रालय का कडा रुख सामने आया है. बताया जाता है कि मोदी ने कहा है कि अलगाववादियों के साथ कडाई से पेश आने का वक्त आ गया है.सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों से मिलने से इनकार करने वाले हुर्रियत नेताओं की यह झिड़की भरा आचरण सरकार को इस कदर नागवार गुजरा कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कह दिया कि ऐसा बर्ताव न तो कश्मीरियत और न ही इंसानियत के अनुरुप है. माकपा सांसद सीताराम येचुरी, जदयू के शरद यादव, राजद के जयप्रकाश यादव, एआईएमआईएम के असादुद्दीन ओवैसी और भाकपा के डी राजा हुर्रियत नेताओं से मिलने गए थे.
सूत्रों के अनुसार सरकार के अंदर यह भावना है कि शासन का अभाव जम्मू कश्मीर में एक बडी चिंता का विषय है और इसका समाधान जरुरी है. सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार महसूस करती है कि राज्य सरकार अलगाववादियों के साथ नरमी के साथ पेश आ रही है और उसे उनके खिलाफ सख्त होना होगा. सूत्रों ने दावा किया कि विद्यार्थी, अभिभावक और मध्य वर्ग बेचैन हो रहे हैं तथा चाहते हैं कि हिंसा का चक्र थमे.सूत्रों ने बताया कि वैसे इन मुद्दों पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की कल की बैठक और सरकार में उच्च स्तर पर विचार-विमर्श के बाद निर्णय किया जाएगा. इस प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में राज्य का दौरा किया था.