नयी दिल्ली/ श्रीनगर : कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात से इनकार करनेवाले अलगाववादी नेताओं पर केंद्र सरकार सख्त रुख अपना सकती है. इन नेताओं के पासपोर्ट वापस लिये जा सकते हैं. विदेश यात्राओं पर अंकुश लग सकता है. इन कट्टरपंथियों को मिली कड़ी सुरक्षा भी कम की जा सकती है. इसके अलावा, केंद्र उनके बैंक खातों को भी खंगालेगा. साथ ही उनके विरुद्ध दर्ज मामलों की लंबित जांच भी पूरी करेगा. इस कवायद का मकसद जमीनी स्तर पर यह संदेश देना है कि घाटी में युवकों को भड़कानेवालों को बख्शा नहीं जायेगा.
आज गृहमंत्री राजनाथ सिंह आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग से 10:15 बजे सुबह मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात के दौरान गृह सचिव भी उपस्थित रहेंगे. आज शाम को ही गृहमंत्री राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे.
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति के बाद गृह मंत्रालय का यह रुख सामने आया है. वैसे इन मुद्दों पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की बुधवार की बैठक और सरकार में उच्च स्तर पर विचार-विमर्श के बाद निर्णय किया जायेगा. इस बीच जम्मू-कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा से लौटे गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कश्मीर की स्थिति से अवगत कराया. एक अंगरेजी अखबार के मुताबिक, पिछले पांच सालों में जम्मू-कश्मीर सरकार ने अलगाववादियों की सुरक्षा पर 506 करोड़ रुपये खर्च किये. सरकार ने पांच सालों में इन लोगों को होटलों में ठहराने पर ही लगभग 21 करोड़ रुपये खर्च किये.
रद्द किया भारतीय उच्चायुक्त का कार्यक्रम
कराची: कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताने के बाद कराची चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने मंगलवार को अंतिम समय में भारतीय दूत का कार्यक्रम रद्द कर दिया. उन्हें रद्द होने की सूचना समारोह से महज आधे घंटे पहले सूचना दी गयी. सोमवार को बम्बावाले ने एक कार्यक्रम में कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताया. साथ ही पाकिस्तान द्वारा इसमें हस्तक्षेप करने के लिए निशाना साधते हुए कहा कि जो खुद शीशे के घरों में रहते हों उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए. उन्होंने दोनों देशों के बीच वृहद द्विपक्षीय व्यापार संबंधों का आह्वान किया और कहा कि राजनीतिक मुद्दों के हल में समय लगेगा.
60 दिन से घाटी में अमन का इंतजार युवक की मौत, अब तक 73 मरे
कश्मीर में हिंसा का दौर जारी है. मंगलवार को अनंतनाग में पथराव कर रहे लोगों और सुरक्षा बलों के संघर्ष में एक युवक की मौत हो गयी, जबकि पूरे श्रीनगर जिले से कर्फ्यू हटा दिया गया. हालांकि, अलगावादियों द्वारा प्रायोजित हड़ताल के कारण 60वें दिन भी घाटी में जन-जीवन बाधित रहा.