नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आज निर्देश दिया कि वे पुलिस थानों में प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर उसे अपनी वेबसाइट पर लगायें. बहरहाल, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी. नागप्पन ने उन राज्यों के लिए वेबसाइट पर प्राथमिकी लगाने की मीयाद बढा कर 72 घंटे कर दी जो मुश्किल इलाकों में हैं और जहां इंटरनेट की सुविधा कमजोर है.
न्यायालय ने राज्य पुलिस प्रशासन को छापेमार युद्ध और महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के संवेदनशील मामलों में वेबसाइट पर प्रथमिकी लगाने से छूट दी. पीठ ने यह भी साफ किया कि आरोपी अदालत में इस तथ्य का फायदा नहीं उठा सकते कि उनके खिलाफ दायर प्राथमिकी वेबसाइट पर नहीं लगाई गई है. शुरू में, सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया गया कि राज्यों को 48 घंटे के अंदर प्राथमिकी वेबसाइट पर अपलोड करने की इजाजत दी जाए। बहरहाल, बाद में अदालत ने 24 घंटे की समयसीमा तय की.
न्यायालय ने यह निर्देश यूथ लायर्स ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया की जनहित याचिका पर दिया. जनहित याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय में पारित एक फैसले का जिक्र किया गया है जिसमें दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर उसे अपनी वेबसाइट पर लगाने का निर्देश दिया गया था. उच्चतम न्यायालय ने कुछ संशोधनों के साथ दिल्ल उच्च न्यायालय के निर्देशों पर सहमति जताई.