केजरीवाल को बड़ा झटका: दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द की

नयी दिल्ली : केजरीवाल सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट ने जोरदार झटका देते हुए 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने 13 मार्च 2015 के अपने आदेश के माध्‍यम से पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिवों का पद दे दिया था जिसे अदालत में चुनौती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2016 1:13 PM

नयी दिल्ली : केजरीवाल सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट ने जोरदार झटका देते हुए 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने 13 मार्च 2015 के अपने आदेश के माध्‍यम से पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिवों का पद दे दिया था जिसे अदालत में चुनौती दी गई थी.

प्रमुख न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल ने यह आदेश तब जारी किया, जब दिल्ली सरकार का पक्ष रखने वाले वकील ने यह ‘स्वीकार कर लिया’ कि 13 मार्च 2015 का आदेश उपराज्यपाल की सहमति या सलाह लिए बिना जारी किया गया था. दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील सुधीर नंदराजोग ने उच्च न्यायालय के चार अगस्त वाले फैसले का हवाला दिया, जिसमें उसने आप सरकार की कई अधिसूचनाओं को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि इन्हें उपराज्यपाल की सहमति लिए बिना जारी किया गया.

नंदराजोग ने पीठ को बताया, ‘‘आज मुझे यह मानना होगा कि चार अगस्त वाला फैसले मेरे (दिल्ली सरकार के) खिलाफ है.’ दिल्ली सरकार की ओर से दिए गए अभ्यावेदनों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि ‘‘जीएनसीटीडी (दिल्ली सरकार) के विवादित आदेश को खारिज किया जाता है.’ संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने पीठ को बताया कि चुनाव आयोग भी 21 विधायकों को संसदीय सचिवों के रुप में नियुक्त किए जाने के मुद्दे पर गौर कर रहा है. उच्च न्यायालय ने अपने चार अगस्त के फैसले में कहा था कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और उपराज्यपाल ही इसके प्रशासनिक प्रमुख हैं.

केंद्र ने 13 जुलाई को आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से नियुक्त किए गए 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति का विरोध किया था। केंद्र ने कहा था कि मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव पद के अलावा इस पद का न तो संविधान में कोई स्थान है और न ही दिल्ली विधानसभा (अयोग्यता निवारण) कानून (1997) में.

Next Article

Exit mobile version