कारों के पीछे दिखाने वाला कैमरा हो सकता है अनिवार्य
नयी दिल्ली: दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार जल्द ही सभी नए वाहनों में पीछे दिखाने वाला कैमरा या रियर व्यू सेंसर अनिवार्य कर सकती है.ऐसी कारें जिनमें पीछे दिखाने वाले दर्पण की सुविधा होती है और जो कार को पीछे की तरफ देखने में सक्षम बनाते हैं, वह भी कार के पीछे नहीं दिखाई […]
नयी दिल्ली: दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार जल्द ही सभी नए वाहनों में पीछे दिखाने वाला कैमरा या रियर व्यू सेंसर अनिवार्य कर सकती है.ऐसी कारें जिनमें पीछे दिखाने वाले दर्पण की सुविधा होती है और जो कार को पीछे की तरफ देखने में सक्षम बनाते हैं, वह भी कार के पीछे नहीं दिखाई देने वाले क्षेत्र में आने वाली किसी वस्तु या छोटे बच्चों की पहचान करने में अक्षम होते हैं.
इस समस्या के समाधान पर बात करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव अभय दामले ने कहा कि ‘मंत्रालय जल्द ही एक अधिसूचना जारी करेगा जिसमें सभी वाहनों के लिए रियर व्यू सेंसर अनिवार्य बनाया जाएगा. ‘ अंतरराष्ट्रीय सडक महासंघ (आईआरएफ) द्वारा आयोजित किए जाने वाले विश्व सड़क सम्मेलन (डब्ल्यूआरएम-2017) से पहले एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में 50,000 से ज्यादा घातक दुर्घटनाएं केवल तेज गति के कारण होती है इसलिए सरकार की योजना है कि वाहनों में मौखित चेतावनी देने वाली प्रणाली को भी अनिवार्य किया जाए.
इसके तहत सरकार की योजना सीट बेल्ट नहीं पहनने, 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार को पार करने पर छोटी चेतावनी और 90 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति पार करने पर लगातार चेतावनी देने वाली आवाज की सुनाई देने की प्रणाली को अनिवार्य करने की है.उन्होंने कहा कि सरकार ने दुपहिया वाहनों के लिए इसे पहले ही अनिवार्य कर दिया है जो अप्रैल 2019 से लागू होेगा.रियर व्यू सेंसर और गति चेतावनी प्रणाली के अलावा सरकार की योजना सभी वाहनों में एयरबैग को भी अनिवार्य करने की है. साथ ही एक अक्तूबर 2018 से वाहनों के स्वचालित निरीक्षण और फिटनेस प्रमाणपत्र की सुविधा भी चालू हो जाएगी. इसके अलावा ड्राइविंग लाइसेंस परीक्षा भी स्वचालित आधार पर होगी