चेन्नई : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 21वीं सदी बेहद ‘कठिन चुनौतियों’ का सामना कर रही है. उन्होंने सक्षम और जिम्मेदार सशस्त्र बलों से स्थिरता तथा शांति सुनिश्चित करने का आह्वान किया. राष्ट्रपति ने सुरक्षा की चुनौतियों को अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में पारंपरिक सीमाओं और खतरों से कहीं आगे बताते हुए कहा, ‘भारत को ऐसे युवा पुरुषों और महिलाओं की जरुरत है, जो विवादित जलक्षेत्र में नौवहन की चुनौती स्वीकार करें और देश की सेवा के दौरान अपना जीवन दांव पर लगाने से ना चूकें तथा बिना थके और निष्काम भाव से काम करें.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे समक्ष मौजूद सुरक्षा चुनौतियां अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में पारंपरिक सीमाओं और पारंपरिक खतरों से कहीं आगे हैं. इनमें विश्व के अस्थिर क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे और समुद्री मार्गों की सुरक्षा शामिल है.’ अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में ग्रीष्मकालीन सत्र की पासिंग आउट परेड के अवलोकन के अवसर पर अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि घरेलू संकट के हालात में, चाहे वे मानव निर्मित हों या प्राकृतिक, देश ने सशस्त्र बलों में भरोसा जताया है.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘इन चुनौतियों से निबटने के लिए और शांति तथा स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सक्षम और जिम्मेदार सशस्त्र बलों की जरुरत है. नागरिकों की शांति और समृद्धि की दिशा में आगे बढ रहे हमारे देश के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है.’ उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की अपनी अलग ही चुनौतियां हैं.
मुखर्जी ने कहा, ‘हालांकि मानवता के इतिहास में अशांति एवं अनिश्चितता हर समय रही है लेकिन यह सदी बेहद कठिन चुनौतियों का सामना कर रही है. इसमें ऐसा असंयमित युद्ध छिडा हुआ है, जिसमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही तत्व शामिल हैं.’ उन्होंने कहा, ‘एक महान और शक्तिशाली सेना का बडप्पन उस ताकत में नहीं है, जिसका इस्तेमाल वह कर सकती है बल्कि उसके इस्तेमाल के तरीके और दक्षता में है.’