20 मार्च बोतल बंद पानी : नाम में बहुत कुछ रखा है

देश में स्टार्टअप की धूम है. ओला, उबर से लेकर फ्लिपकार्ट तक पिछले एक दशक में कई ऐसी कंपनियां आयीं, जिसने बिजनेस की दुनिया में कामयाबी की नयी इबारत लिखी. इन सब कामयाब कहानियों के बीच अविचल धिवार की कहानी व्यवसाय और जातीय पहचान की मिली-जुली लड़ाई की कहानी है. अविचल धिवार ने ’20 मार्च’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2016 4:52 PM

देश में स्टार्टअप की धूम है. ओला, उबर से लेकर फ्लिपकार्ट तक पिछले एक दशक में कई ऐसी कंपनियां आयीं, जिसने बिजनेस की दुनिया में कामयाबी की नयी इबारत लिखी. इन सब कामयाब कहानियों के बीच अविचल धिवार की कहानी व्यवसाय और जातीय पहचान की मिली-जुली लड़ाई की कहानी है. अविचल धिवार ने ’20 मार्च’ नाम से वाटर प्लांट बनाया है. पुणे के तहसील शिरूर के पाबल में ’20 मार्च’ ने अपना प्लांट लगाया है.

यह कंपनी लोगों को बोतलबंद पानी उपलब्ध करवाती है. हर दिन 10,000 लीटर पानी बिक्री का लक्ष्य रखने वाली ’20 मार्च’ के नामकरण में ही इसकी कहानी छिपी है.धिवारने58 दोस्तों के साथ मिलकर 10 जनवरी 2014 को एक कंपनी बनाई जिसका नाम 20th मार्च वेंचर प्राइवेट लिमिटेड रखा. दरअसल 20 मार्च 1927 के दिन ही बाबा साहब ने महाड़ चवदार तलाब सत्याग्रह का नेतृत्व किया. भीम राव आंबेडकर ने इसी दिन पानी पीकर समानता की लड़ाई की शुरुआत की थी.
देश में जड़ जमा चुके जातिवाद के खिलाफ इस कंपनी को लड़ाई के अनोखे तरीके के रूप में देखा जा रहा है. धीवर बाबा साहेब से प्रेरित हैं. ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलितों व आदिवासियों को खुद के व्यवसाय स्थापित करने को प्रोत्साहन देने के लिए स्टैंडअप योजना बनाया है. हालांकि सरकारी योजनाओं के अतिरिक्त कई प्रयास भी किये जा रहे हैं. देश में दलित उद्यमियों का एक संगठन भी है. फिक्की के तर्ज पर आधारित डिक्की-दलित चैम्बर्स ऑफ कामर्स नाम की संस्था भी चलती है. यह संस्था दलितों को बिजनेस में आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. पिछले दिनों दलित उद्यमियों के एक कॉन्फ्रेस को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने संबोधित किया था.

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