पत्नी के शव को कंधे पर ढोने वाले दाना मांझी बने लखपति

भुवनेश्वर: अपनी मृत पत्नी को दस किलोमीटर तक कंधे पर लेकर चलने वाले ओडिशा के गरीब आदिवासी दाना मांझी अब चंदे में मिले धन से लखपति बन गए हैं. बहरीन के प्रधानमंत्री ने भी उनके लिए चंदा भेजा है.कालाहांडी जिले के दूरवर्ती मेलाघर गांव के रहने वाले मांझी कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2016 6:37 PM

भुवनेश्वर: अपनी मृत पत्नी को दस किलोमीटर तक कंधे पर लेकर चलने वाले ओडिशा के गरीब आदिवासी दाना मांझी अब चंदे में मिले धन से लखपति बन गए हैं. बहरीन के प्रधानमंत्री ने भी उनके लिए चंदा भेजा है.कालाहांडी जिले के दूरवर्ती मेलाघर गांव के रहने वाले मांझी कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि एक लाख का मतलब क्या होता है लेकिन अब उनके पास 15 लाख रुपये हो गए हैं.

पत्नी को कंधे पर ढोने की घटना के बाद वह सुर्खियों में आए। उनकी तीन बेटियों को कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) में नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराई जा रही है.मांझी को बहरीन के प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा ने आठ लाख 87 हजार रुपये उपहार में दिए हैं. उन्होंने कल दिल्ली में बहरीन दूतावास में अधिकारियों से इस राशि का चेक हासिल किया.
मांझी ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस धन को अपनी तीन बेटियों के भविष्य के लिए बैंक में जमा कराएंगे.मांझी ने बताया कि घटना के बारे में पता चलने के बाद बहरीन के प्रिंस ने उन्हें यह राशि दी. 24 अगस्त को एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने के कारण अपनी पत्नी के शव को कंधे पर ढोने के बाद से समाज के कई वर्गों ने उनकी मदद की है.इससे पहले सुलभ इंटरनेशनल ने उन्हें पांच लाख रुपये की सहायता और बेटियों की शिक्षा के लिए दस हजार रुपये प्रति महीने की धनराशि देने की घोषणा की थी. सुलभ इंटरनेशनल ने मांझी के खाते में पांच वर्ष के लिए यह राशि सावधि जमा कराई थी जो तीन सितम्बर 2021 को पूरी होगी.
बैंक के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘पांच वर्ष के बाद 7. 5 फीसदी ब्याज दर के साथ मांझी को सात लाख 33 हजार 921 रुपये मिलेंगे. सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने अपने संगठन के एक प्रतिनिधि को दाना मांझी से मिलने के लिए भेजा था.सुलभ इंटरनेशनल के विनोद शर्मा ने कहा, ‘‘दाना मांझी की दयनीय हालत से डॉ. पाठक काफी व्यथित हुए और उनकी सहायता के लिए चंदा दिया.” शर्मा ने पांच लाख रुपये की सावधि जमा के कागजात दाना मांझी को सौंपे और दस हजार रुपये नकद दिए.
गुजरात के एक हीरा व्यापारी ने भी मांझी को दो लाख रुपये की सहायता दी. मांझी हमेशा मुडी तुडी कमीज, लुंगी में नजर आते हैं और दूरवर्ती गांव के कच्चे मकान में रहते हैं.इस गरीब आदिवासी की तीन बेटियों को भुवनेश्वर की केआईएसएस शिक्षा मुहैया करा रही है. केआईएसएस के संस्थापक अच्युत सामंत ने बताया कि बहरीन के राजदूत की सलाह के मुताबिक उनके प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए धन को मांझी की बेटियों के नाम पर सावधि जमा कराया जाएगा.
जिले के आदिवासी प्रतिनिधियों ने केआईएसएस के अधिकारियों से आग्रह किया कि संस्थान की एक शाखा कालाहांडी में खोली जाए.केआईएसएस के अधिकारियों ने संकेत दिए कि शैक्षणिक संस्थान की एक शाखा जल्द ही कालाहांडी में काम करने लगेगी.मांझी को राज्य सरकार से 80 हजार रुपये की सहायता मिली और सरकार ने उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान देने का भी आश्वासन दिया है.

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