भारत के दुश्मनों की अब खैर नहीं, समंदर में उतर चुका है ”मोरमुगाओ”

मुंबई : मुंबई में मिसाइल डिस्ट्रॉयर शिप को आज लॉन्च कर दिया गया है. भारतीय नौसेना की समंदर में अपनी ताकत लगातार बढ़ाने की कोशिश को इसके बाद नया मुकाम मिला है. नौसेना का मिसाइल-डैस्ट्रोयर युद्धपोत का नाम ‘मोरमुगाओ’ रखा गया है. मुंबई में नौसेना प्रमुख, एडमिरल सुनीन लांबा मोरमुगाओ को समंदर में लांच किया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2016 12:31 PM

मुंबई : मुंबई में मिसाइल डिस्ट्रॉयर शिप को आज लॉन्च कर दिया गया है. भारतीय नौसेना की समंदर में अपनी ताकत लगातार बढ़ाने की कोशिश को इसके बाद नया मुकाम मिला है. नौसेना का मिसाइल-डैस्ट्रोयर युद्धपोत का नाम ‘मोरमुगाओ’ रखा गया है. मुंबई में नौसेना प्रमुख, एडमिरल सुनीन लांबा मोरमुगाओ को समंदर में लांच किया. मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (एमडीएल) ने जंगी जहाज को तैयार किया है. आइए हम आपको बताते हैं’मोरमुगाओ’के संबंध मेंकुछ खास बातें…


1. ‘मोरमुगाओ’ नौसेना के ‘कोलकता-क्लास’ का दूसरा विनाशक-जहाज है. इस क्लास का पहला जहाज, ‘विशाखापट्टनम’ बनकर तैयार होने वाला है.

2. एमडीएल की ओर से मोरमुगाओ को प्रोजेक्ट-15बी नाम से नवाजा गया है. नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो जाने के बाद यह ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ के नाम से जाना जाने लगा है.

3. मोरमुगाओ युद्धपोत पूरी तरह से स्वदेशी है. इस युद्धपोत को भारत में ही निर्मित दुनिया के एकमात्र क्रूज बैलेस्टिक मिसाइल, बह्मोस से लैस किया गया है. इजरायल की बराक-8 मिसाइल भी इस जहाज में लगी है.

4. मोरमुगाओ नामकरण के पीछे गोवा के सबसे पुराने बंदरगाह की यादें हैं. इसका नाम इसी बंदरगाह से लिया गया है. आपको बता दें कि रक्षा मंत्री मोहर पर्रीकर का गोवा से पुराना संबंध रहा है.

5. युद्धपोत के लोगो पर ध्‍यान दिया जाए तो इसमें एक किला और जंगली भैसा/सांड (बाइसन) बना है. यह किला, पुर्तगालियों द्वारा गोवा में बनाया गया फोर्ट अगुडा और उसका लाइट-हाउस है. इसके माध्‍यम से यह दर्शाया गया है कि जहाज भी किले की तरह है जिसे कोई भेदने की सोच भी नहीं सकता हैजिसकी शक्ति जंगली भैसे की तरह है, जो किसी से भी टकराने की ताकत रखता है. बाइसन भी गोवा का ही जानवर है. यही वजह है कि इस युद्धपोत का आदर्श-वाक्य है ‘सागर विनाशक’. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 से एमडीएल हर साल एक जंगी जहाज नौसेना को उपलब्ध करा रहा है.

6. शुरूआत में एमडीएल ने स्टील्थ-फ्रिगेट आईएनएस शिवालिक से सेना को उपलब्ध कराया था. उसके बाद सहयाद्रि, सतपुड़ा, स्टील्थ डेस्ट्रोयर आईएनएस कोलकता उर फिर कोच्ची इसने सेना के हवाले किया.

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