मोदी के मंत्री ने दिया विवादित बयान, बाहरी लोगों के कारण बढ़ी गरीबी
नयी दिल्ली : गरीबी के आंकड़ों पर गुजरात के वित्त मंत्री ने एक और विवाद को जन्म दे दिया है. वित्त मंत्री नितिन पटेल ने कहा है कि प्रदेश में यूपी, बिहार से आए लोगों के कारण गरीबी बढ़ी है. वित्त मंत्री के इस बायन के बाद विपक्षी दलों ने गुजरात सरकार और भाजपा के […]
नयी दिल्ली : गरीबी के आंकड़ों पर गुजरात के वित्त मंत्री ने एक और विवाद को जन्म दे दिया है. वित्त मंत्री नितिन पटेल ने कहा है कि प्रदेश में यूपी, बिहार से आए लोगों के कारण गरीबी बढ़ी है. वित्त मंत्री के इस बायन के बाद विपक्षी दलों ने गुजरात सरकार और भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर हमले शुरू कर दिए हैं.
नरेंद्र मोदी देश भी जहां भी जाते हैं तो कहते हैं देश भर से लोग गुजरात आ रहे हैं. हम उन्हें रोजगार और सुरक्षा देते हैं, लेकिन मंगलवार को प्रदेश वित्त मंत्री नितिन पटेल ने एक विरोधाभाषी बयान देकर मोदी को बैकफुट पर ला दिया है.
इधर केंद्र और गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार गरीबी के आंकड़ों को लेकर आमने-सामने आ गए. वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुजरात सरकार द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वालों की पहचान की सीमा के लिए 10रुपये80 पैसे प्रतिदिन कमाई के मानदंड निर्धारण को खारिज कर दिया. वहीं गुजरात सरकार ने कहा कि यह मानदंड योजना आयोग के मानदंडों पर आधारित है, केंद्र सरकार ने इससे इनकार किया.
चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा, यदि आशय यह है कि जो व्यक्ति 11 रुपये या 19 रुपये की आमदनी करता है वह गरीबी रेखा से उपर जीवन यापन कर रहा है तो (इसे) खारिज किया जाना चाहिए।. उन्होंने कहा कि हमारा मामला यह है कि ये मानदंड यह निर्धारित करने के लिए है कि लाभार्थी कौन होने चाहिए और कौन एक विशिष्ट कार्यक्रम का लाभार्थी नहीं होना चाहिए. ये मानदंड गरीबी के संकेतक नहीं हैं.
इस अवसर पर उन्होंने योजना आयोग के गरीबी संबंधी 32 रुपये के आंकड़े पर भाजपा द्वारा किये गये हो..हल्ले को याद करते हुये कहा, मैं यह कल्पना नहीं कर सकता कि वह 11 और 19 रुपये जैसी संख्या कैसे रख सकते हैं. मुझे यह देखना होगा कि इन आंकड़ों को योजना आयोग की संख्याओं से निकाला गया है या निकाले जा सकते हैं. उधर, गुजरात सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि ये आंकड़े उन मानदंडों पर आधारित हैं जो कि केंद्र सरकार ने पिछले 10 सालों से नहीं बदले हैं. गुजरात सरकार अपने खुद के संसाधनों से 11 लाख अतिरिक्त परिवारों को राशन वितरित कर रही है.
योजना राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने झूठे आरोप लगाने के लिये मोदी की आलोचना करते हुये कहा उन्होंने अपने आंकड़े ठीक नहीं किये हैं और अभी भी वाजपेयी सरकार के समय के आंकड़ों को ही जारी रखे हुये हैं. अब ये आंकड़े (गुजरात के लिये) ग्रामीण क्षेत्रों के लिये 31.06 रुपये और शहरी क्षेत्रों के लिये 38.40 रुपये हैं.
एआईसीसी के संचार विभाग के प्रमुख अजय माकन ने भाजपा और मोदी को यह भी याद दिलाया कि उन्होंने शहरी क्षेत्रों में 32 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 28 रुपये प्रतिदिन के योजना आयोग के बीपीएल के आकड़ों को बड़ा मुद्दा बनाया था और इसे एक मजाक बताया था.
माकन ने कहा कि अगर 32 रुपये से कम आय मजाक है तो फिर मोदी सरकार द्वारा बीपीएल सीमा को दस रुपये 80 पैसे तय किये जाने की व्याख्या कैसे की जा सकती है. कांग्रेस पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा कि केंद्र द्वारा 2004 में यह मानदंड तय किया गया था और राज्यों को इसका अनुसरण करने को कहा गया था. भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कांग्रेस को सलाह दी कि पार्टी अपने ड्राइंगरुम में जाकर फिर से होम वर्क करे. उनका कहना था कि बीपीएल मानदंड तय करना केंद्र का विशेषधिकार है. उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने केंद्र सरकार को कई बार याद दिलाते हुए मांग की है कि वह इस मानदंड की समीक्षा करे.
निर्मला ने कहा कि अगर केंद्र सरकार के गरीबी के पैमाने पर चला जाए तो उसके मुताबिक गुजरात में सिर्फ 21 लाख बीपीएल परिवारों को लाभ मिलेगा. लेकिन गुजरात सरकार ने इस बात को सुनिश्चित किया कि 11 लाख अतिरिक्त परिवारों को लाभाथियों की सूची में शामिल किया जाये.