नयी दिल्ली : नये लोकपाल के चयन पैनल का गठन सरकार और विपक्ष के बीच एक और तनातनी का मुद्दा बनने वाला है. भाजपा ने प्रधानमंत्री के उस प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने वरिष्ठ वकील पी पी राव को इसका पांचवां सदस्य बनाने का प्रस्ताव दिया है.
सूत्रों ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने लोकपाल पैनल में प्रतिष्ठित विधिवेत्ता श्रेणी के तहत सरकार के नामित व्यक्ति का समर्थन करने से इनकार कर दिया और कल रात हुई बैठक में उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराया.
उन्होंने कहा कि पैनल का पांचवा सदस्य चुनने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर हुई बैठक में स्वराज की राय नहीं मानी गयी क्यांेकि सरकार के नामित व्यक्ति के पक्ष में तीन वोट थे. नेता प्रतिपक्ष ने राव को कांग्रेस का वफादार बताते हुए उनके नाम का विरोध किया और पूर्व अटॉर्नी जनरल के परासरण का नाम प्रस्तावित किया.
सूत्रों के मुताबिक, सुषमा ने मांग रखी कि पैनल ऐसे लोगों से मुक्त होना चाहिए और इसमें गैर राजनीतिक लोग होने चाहिए. इसे एक बंधक संस्था नहीं बनाया जाना चाहिए.
उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि स्वराज ने कहा कि चूंकि देश में पहली बार भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल नियुक्त किया जा रहा है, इसलिए नियुक्तियों पर सर्वसम्मति होनी चाहिए.
ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने प्रमुख पैनल के लिए प्रतिष्ठित विधिवेत्ता फली नरीमन और हरीश साल्वे के नामों का प्रस्ताव दिया और उन्होंने यह भी कहा कि फैसले पर सर्वसम्मति बनाने के लिए अगली बैठक आयोजित की जा सकती है और वहां नए नामों की सूची पर गौर किया जा सकता है.
सूत्रों ने कहा कि उनके विरोध के बावजूद चयन समिति के तीन अन्य सदस्यों- प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एच एल दत्तू ने राव की सदस्यता के प्रस्ताव को अपनी सहमति दी. न्यायाधीश दत्तू को भारत के प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम ने नामांकित किया था.