बेनी ने बांटे नकद,विपक्ष ने की आलोचना
लखनऊ : विरोधियों पर तीखे बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा इस बार इस्पात उपभोक्ता परिषद की बैठक के बहाने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और कुछ पत्रकारों को पैसे और उपहार बंटवाने के लिए चर्चा में है और विपक्षी दलों ने उन पर सरकारी खजाने के दुरुपयोग का आरोप लगाया […]
लखनऊ : विरोधियों पर तीखे बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा इस बार इस्पात उपभोक्ता परिषद की बैठक के बहाने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और कुछ पत्रकारों को पैसे और उपहार बंटवाने के लिए चर्चा में है और विपक्षी दलों ने उन पर सरकारी खजाने के दुरुपयोग का आरोप लगाया है.
सूत्रों के अनुसार, वर्मा ने उनके गृह जनपद बाराबंकी तथा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं तथा कुछ पत्रकारों को इस्पात उपभोक्ता परिषद का सदस्य बनवाया और कल ताज होटल में उपभोक्ता परिषद की बैठक में भाग लेने के नाम पर उन्हें टीए, डीए, मोबाइल फोन और एक सूटकेस दिलवाया.
विपक्षी दलों का आरोप है कि वर्मा ने उपभोक्ता परिषद की आड में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक करोड रुपये से अधिक का नकद और उपहार बांटा है और सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया है.
भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए केंद्रीय मंत्री की आलोचना करते हुए कहा, हमारी मांग है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो, बताया जाये कि इस आयोजन पर कितना खर्च हुआ और किन लोगों को नकद और उपहारों से उपकृत किया गया है. उन्होंने कहा कि इस उपहार वितरण का औचित्य भी बताया जाना चाहिए.
समाजवादी पार्टी नेता ओम प्रकाश सिंह ने सरकारी धन के इस बंटवारे की निंदा करते हुए कहा है कि यदि उन्हें (बेनी) यह लगता है कि पैसे और उपहार बांट कर लोगों का दिल जीता जा सकता है, तो वह भ्रम का शिकार हैं. सपा के एक अन्य नेता रामआसरे विश्वकर्मा ने इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मीडिया विभाग के अध्यक्ष सत्यदेव त्रिपाठी ने बहरहाल यह कहते हुए वर्मा का बचाव किया है कि इस्पात उपभोक्ता परिषद की बैठक में शामिल होने वाले सदस्यों को नियमत: टीए, डीए और उपहार दिये जाते हैं. उन्होंने कहा, भाजपा और सपा नेताओं को शायद उपभोक्ता परिषद की बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों को टीए, डीए और उपहार आदि दिये जाने की व्यवस्था के बारे में जानकारी नहीं है. इसलिए वे तिल का ताड़ बनाने में लगे हैं.