नयी दिल्ली: दिल्ली सरकार ने ‘बदतर स्थिति’ पर काबू पाने के लिए शहर में बिजली वितरण अपने हाथ में लेने का आज इरादा जाहिर किया. वहीं दूसरी ओर, रिलायंस इंफ्रा समर्थित बीएसईएस बिजली वितरण कंपनियों ने उसके लाइसेंसों को निरस्त करने की बिजली नियामक डीईआरसी से सिफारिश करने के लिए दिल्ली सरकार की आज यह कहते हुए आलोचना की कि यह प्रस्ताव ‘मनमाना’ व ‘गैर-कानूनी’ है और यह बिजली क्षेत्र के सुधारों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज उपराज्यपाल नजीब जंग को सूचित किया कि यदि निजी बिजली वितरण कंपनियां वित्तीय दिक्कतों के चलते बिजली आपूर्ति करने में असमर्थता जताती हैं तो बिजली नियामक डीईआरसी के पास उनके लाइसेंस निरस्त करने के अलावा कोई चारा नहीं होगा और सरकार बिजली वितरण का काम अपने हाथ में लेने को तैयार है.
जंग को लिखे पत्र में केजरीवाल ने बीएसईएस की दो बिजली वितरण कंपनियों के लाइसेंस निरस्त करने की बिजली नियामक को सरकार की सिफारिश के बारे में सूचित किया.केजरीवाल ने कहा, ‘‘ मैं इस अति गंभीर मामले को आपके संज्ञान में ला रहा हूं क्योंकि सरकार को बदतर स्थिति पर काबू पाने के लिए किसी चरण में खुद हस्तक्षेप करना पड़ सकता है.’’ बिजली के मुद्दे पर टकराव बढ़ने के बीच केजरीवाल ने आज अनिल धीरुभाई अंबानी समूह (एडीएजी) के चेयरमैन अनिल अंबानी पर भी निशाना साधा. एडीएजी समूह की बीएसईएस राजधानी व बीएसईएस यमुना दिल्ली में 70 प्रतिशत इलाकों को बिजली की आपूर्ति करती हैं.
केजरीवाल ने एक ट्विट में कहा, ‘‘ अनिल अंबानी दिल्ली की बिजली के साथ राजनीति कर रहे हैं.’’ रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रवक्ता ने केजरीवाल की इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘ रिलायंस समूह दिल्ली के मुख्यमंत्री के उस ट्विट को लेकर बहुत निराश है जिसमें उन्होंने समूह के चेयरमैन पर हमला बोला है.’’ बीएसईएस की बिजली वितरण कंपनियों ने दिल्ली सरकार से इस बिजली संकट का समाधान निकालने के लिए ‘सृजनात्मक तौर पर बातचीत’ में लगने का आग्रह किया.