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विवाद सुलझाने के लिए जम्मू-कश्मीर में पक्षकारों के साथ वार्ता हो: माकपा

नयी दिल्ली : माकपा ने आज सरकार से मांग की कि विवाद का हल निकालने के लिए वह जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षकारों के साथ तुरंत बातचीत करे . साथ ही कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक आक्रामकता तब तक ‘‘पूरी तरह प्रभावी” नही होगी जब तक कि केंद्र कश्मीरी जनता के ‘‘लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन” […]

नयी दिल्ली : माकपा ने आज सरकार से मांग की कि विवाद का हल निकालने के लिए वह जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षकारों के साथ तुरंत बातचीत करे . साथ ही कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक आक्रामकता तब तक ‘‘पूरी तरह प्रभावी” नही होगी जब तक कि केंद्र कश्मीरी जनता के ‘‘लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन” खत्म करने की दिशा में कदम नहीं उठाएगी. वाम दल ने कहा कि उरी हमला कश्मीर में जन उभार की पृष्ठिभूमि में हुआ है और इसे घाटी में दमन बढाने का ‘‘एक और बहाना” नहीं बनाया जा सकता.

पार्टी के मुखपत्र ‘पीपल्स डेमोक्रेसी’ के आगामी अंक के संपादकीय में माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने केंद्र को संबोधित करते हुए लिखा है कि वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की आतंक के प्रायोजक के रुप में असलियत उजागर करने के लिए केंद्र को तमाम कूटनीतिक प्रयास और स्थायी राजनीतिक पहलों की शुरुआत करनी चाहिए.
करात ने कहा है, ‘‘पाकिस्तान के खिलाफ कोई भी कूटनीतिक आक्रामकता तब तक पूरी तरह प्रभावी नहीं हो सकती है जब तक कि मोदी सरकार पैलेट गन जैसे प्राणघातक हथियारों का इस्तेमाल बंद नहीं करती और कश्मीर की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के दम को नहीं रोकती है.
अब बिना देर किए विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के साथ वार्ता की राजनीतिक प्रक्रिया शुरु की जानी चाहिए.” उन्होंने इस बाबत जांच की भी मांग की कि आखिर आतंकी उरी में नियंत्रण रेखा किस तरह पार कर पाए और ‘‘भारी सुरक्षा” वाले शिविर में कैसे घुसे. उन्होंने जिहादी आत्मघाती दस्तों की घुसपैठ के खतरे से निबटने के लिए समग्र उपायों को आजमाने पर जोर दिया.
करात के मुताबिक अमेरिका के साथ नजदीकी संबंधों का भारत को कोई फायदा नहीं पहुंचा है क्योंकि वॉशिंगटन ने उरी हमले की निंदा तो की लेकिन इसमें पाकिस्तान का जिक्र नहीं किया. जबकि दूसरी ओर, करात के मुताबिक रुस ने ना केवल हमले की निंदा की बल्कि भारत के उस दावे का भी समर्थन किया जिसमें देश कहता है कि आतंकी पाकिस्तान की ओर से आते हैं.

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