बेंगलुरु : कर्नाटक विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार से कावेरी जल का इस्तेमाल केवल पेयजल जरुरतों को पूरा करने का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया गया जिसका तात्पर्य है कि यह राज्य तमलनाडु के लिए पानी छोडने के उच्चतम न्यायालय के नवीनतम निर्देश का पालन नहीं कर सकता है.
‘गंभीर कठिनाई की दशा’ का उल्लेख करते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि यह अनिवार्य है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि कावेरी बेसिन के गांवों एवं शहरों तथा बेंगलुरु की पीने के पानी की जरुरतों को पूरा करने को छोडकर अन्य किसी जरुरत के लिए वर्तमान भंडार से पानी नहीं छोडा जाए. इस प्रस्ताव पर सभी दलों ने हामी भरी है.
प्रस्ताव ने कहा है कि यदि बेंगलुरु समेत कावेरी बेसिन के सभी क्षेत्रों के लोगों की पेयजल जरुरतों को पूरा करने सिवा किसी अन्य जरुरत के लिए कावेरी बेसिन के चार जलाशयों में पानी घटा तो राज्य के बाशिंदों के हित गंभीर रुप से खतरे में पड जाने की आशंका है.विपक्षी भाजपा नेता जगदीश शेट्टार द्वारा अंग्रेजी एवं जेडीएस के वाई एस वाई दत्ता द्वारा कन्नड में पेश इस प्रस्ताव में शीर्ष अदालत के उस निर्देश का जिक्र नहीं है जिसमें कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए रोजाना 6000 क्यूसेक पानी छोडने का निर्देश है. लेकिन उम्मीद है कि ऐसी स्थिति में कर्नाटक न्यायपालिका के साथ टकराव की ओर बढेगा.
कावेरी निगरानी समिति ने 19 सितंबर को कर्नाटक को 21-30 सितंबर के दौरान 3000 क्यूसेक पानी रोजाना छोडने को कहा था लेकिन शीर्ष अदालत ने 20 सितंबर को यह मात्रा दोगुनी कर दी क्योंकि तमिलनाडु ने अपनी सांबा धान फसल को बचाने के लिए पानी की जरुरत का उल्लेख किया था. न्यायालय ने साथ ही केंद्र को कावेरी जल विवाद पंचाट के निर्देश के तहत चार हफ्ते के भीतर कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया.