Loading election data...

भारत की बड़ी कामयाबी: PSLV से दागे गए 8 उपग्रह, जानें कुछ खास बातें

श्रीहरिकोटा : महासागर और मौसम के अध्ययन के लिए तैयार किये गये स्कैटसैट-1 (एससीएटीएएटी-1) और सात अन्य उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी सी-35 ने सोमवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी जिसे भारत की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. अपनी अब तक की सबसे लंबी उडान में पीएसएलवी सी-35 भारत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2016 11:23 AM

श्रीहरिकोटा : महासागर और मौसम के अध्ययन के लिए तैयार किये गये स्कैटसैट-1 (एससीएटीएएटी-1) और सात अन्य उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी सी-35 ने सोमवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी जिसे भारत की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. अपनी अब तक की सबसे लंबी उडान में पीएसएलवी सी-35 भारत के स्कैटसैट-1 और अमेरिका समेत अन्य देशों के सात उपग्रहों को लेकर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उडान भरने के बाद स्कैटसैट-1 को निर्धारित कक्षा में प्रवेश करवा चुका है. स्कैटसैट-1 उपग्रह महासागर एवं मौसम के अध्ययन के लिए है. दो घंटे से अधिक के इस अभियान को पीएसएलवी का सबसे लंबा अभियान माना जा रहा है.

यह पहली बार है, जब पीएसएलवी अपने पेलोड दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित कर रहा है. आज सुबह नौ बजकर 12 मिनट पर उडान भरने वाले 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी ने उडान के 17 मिनट बाद स्कैटसैट-1 को कक्षा में प्रवेश करा दिया. इसकी जानकारी देते हुए इसरो ने कहा, ‘‘ स्कैटसैट-1 को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कराया गया.” स्कैटसैट नामक प्राथमिक उपग्रह मौसम की भविष्यवाणी और चक्रवातों का पता लगाने के लिए है. 371 किलोग्राम वजन के इस उपग्रह को ‘पोलर सन सिन्क्रोनस ऑर्बिट’ में प्रवेश कराया गया जबकि अन्य सात उपग्रहों को लगभग दो घंटे बाद एक निचली कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा। पोलर सन सिन्क्रोनस ऑर्बिट में उपग्रह हमेशा सूर्य की ओर उन्मुख रहता है.

जानिए खास बातें…

1- स्कैटसैट-1 एक प्रारंभिक उपग्रह है और इसका उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने और चक्रवातों का पता लगाने में किया जाएगा.

2- यह स्कैटसैट-1 द्वारा ले जाए गए कू-बैंड स्कैट्रोमीटर पेलोड के लिए एक सतत अभियान है. कू-बैंड स्कैट्रोमीटर ने वर्ष 2009 में ओशनसैट-2 उपग्रह द्वारा ले जाए गए एक ऐसे ही पेलोड की क्षमताएं पहले से बढ़ा दी गईं हैं.

3- स्कैटसैट-1 के साथ जिन दो अकादमिक उपग्रहों को ले गया है, उनमें आईआईटी मुंबई का प्रथम और बेंगलूरू बीईएस विश्वविद्यालय एवं उसके संघ का पीआई सैट भी शामिल हैं.

4- प्रथम का उद्देश्य कुल इलेक्ट्रॉन संख्या का आकलन करना है जबकि पीआई सैट अभियान रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए नैनोसेटेलाइट के डिजाइन एवं विकास के किया जाना है.

5- पीएसएलवी अपने साथ जिन विदेशी उपग्रहों को ले गया है, उनमें अल्जीरिया के- अलसैट-1बी, अलसैट-2बी और अलसैट-1एन, अमेरिका का पाथफाइंडर-1 और कनाडा का एनएलएस-19 का नाम शामिल हैं.

6-पीएसएलवी के साथ गए सभी आठ उपग्रहों का कुल वजन 675 किलोग्राम है.

Next Article

Exit mobile version