भारी विरोध के बीच टाल दिया गया हिंसा निरोधक विधेयक
नयी दिल्ली:राज्यसभा में भारी विरोध के बीच हिंसा निरोधक विधेयक टाल दिया गया. इस विवादास्पद बिल का विपक्षी दलों के भारी विरोध किया. भाजपा, माकपा, अन्नाद्रमुक, द्रमुक एवं सपा सहित विभिन्न दलों के भारी विरोध करने के बाद उप सभापति पीजे कुरियन ने व्यवस्था दी कि सदन की भावना को देखते हुए सांप्रदायिक निवारण विधेयक […]
नयी दिल्ली:राज्यसभा में भारी विरोध के बीच हिंसा निरोधक विधेयक टाल दिया गया. इस विवादास्पद बिल का विपक्षी दलों के भारी विरोध किया. भाजपा, माकपा, अन्नाद्रमुक, द्रमुक एवं सपा सहित विभिन्न दलों के भारी विरोध करने के बाद उप सभापति पीजे कुरियन ने व्यवस्था दी कि सदन की भावना को देखते हुए सांप्रदायिक निवारण विधेयक 2014 को टाला जाता है.
वहीं दूसरी ओरकांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी के जाति आधारित आरक्षण को समाप्त करने के सुझाव और इसकी जगह आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की वकालत किये जाने को लेकर आज संसद में भारी हंगामा हुआ तथा सरकार ने स्पष्टीकरण दिया कि वह ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने राज्यसभा में कहा, ‘‘सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. अभी तक जिस तरह आरक्षण चल रहा है, वह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरुप बरकरार रहेगा.’’
शुक्ला ने कहा कि यदि किसी पदाधिकारी ने ऐसा बयान दिया है तो यह उनका निजी विचार है. इससे पूर्व उच्च सदन में कांग्रेस महासचिव द्विवेदी के बयान का विरोध करते हुए सपा एवं बसपा के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे. जदयू सदस्यों ने भी इस सुझाव का कड़ा विरोध किया.यह मुद्दा सपा नेता रामगोपाल यादव द्वारा उत्तर प्रदेश की 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग उठाये जाने के साथ शुरु हुआ. इसी मुद्दे पर जदयू के के सी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण व्यवस्था खत्म करना चाह रही है. यह एक साजिश है. त्यागी ने बिना किसी बदलाव के मौजूदा आरक्षण प्रणाली को जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया.
इस मुद्दे पर शुक्ला ने सदन को आश्वासन दिया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे बाद में सदन में एक बयान देंगे. राज्यसभा में जब इस मुद्दे पर हंगामा हो रहा था तो उस समय सदन में द्विवेदी भी मौजूद थे. लोकसभा में भी बसपा सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया था और वे नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गये थे लेकिन तेलंगाना मु्द्दे पर चल रहे हंगामे के कारण उनकी बात सुनी नहीं जा सकी. सदन के बाहर बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘‘कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आरक्षण पर बयान दिया है. यह कोई निजी राय नहीं हो सकती बल्कि पार्टी का रुख है. हम इसकी कड़ी भर्त्सना करते हैं.’’
इस मुद्दे पर द्विवेदी ने कहा, ‘‘यह :जाति आधार पर आरक्षण: खत्म होना चाहिए. ऐसा अभी तक क्यों नहीं हो पाया क्योंकि प्रक्रिया में निहित स्वार्थ मौजूद हैं.’’ अकाली दल और भाजपा ने भी द्विवेदी के इस समय यह बयान दिये जाने पर सवाल उठाया है. राज्यसभा में इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के हंगामे के कारण कार्यवाही भोजनावकाश के करीब एक घंटे बाद ही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी.