नयी दिल्ली : भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसलामाबाद में नवंबर में होनेवाले दक्षेस शिखर सम्मेलन (सार्क शिखर सम्मेलन )में भाग नहीं लेंगे. भारत ने मंगलवार की रात कहा कि एक देश ने ऐसा माहौल बना दिया है, जो शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के अनुकूल नहीं है. भारत ने दक्षेस के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को अवगत करा दिया है. इसमें कहा गया है कि मौजूदा परिदृश्य में भारत सरकार इसलामाबाद में प्रस्तावित सम्मेलन में शामिल होने में असमर्थ है. सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान अन्य देश हैं, जिन्होंने सम्मेलन में शामिल नहीं होने की बात की है. सम्मेलन आगामी नवंबर महीने में इसलामाबाद में होना है. इस बीच पाकिस्तान ने दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने के भारत के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.
भारत के साथ ही बांग्लादेश और भूटान ने भी नवंबर में इस्लामाबाद में होने वाले दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने का फैसला किया है और कहा है कि बैठक को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए माहौल सही नहीं है. सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश और भूटान ने कल अपने फैसले से दक्षेस अध्यक्ष नेपाल को अवगत करा दिया. बांग्लादेश द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘‘बांग्लादेश के अंदरुनी मामलों में एक देश के बढते हस्तक्षेप ने ऐसा माहौल उत्पन्न कर दिया है जो नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए उपयुक्त नहीं है.” इसने कहा, ‘‘दक्षेस प्रक्रिया के आरंभकर्ता के रुप में बांग्लादेश क्षेत्रीय सहयोग, कनेक्टिविटी और संपर्कों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अटल है, लेकिन उसका मानना है कि ये चीजें एक सुखद माहौल में ही आगे बढ सकती हैं. उपरोक्त के मद्देनजर बांग्लादेश इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थ है.”
भूटान ने कहा कि हालांकि वह दक्षेस प्रक्रिया और क्षेत्रीय सहयोग बढाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन ‘‘क्षेत्र में हाल में आतंकवादी घटनाओं में आई तेजी से वह चिंतित है जिसका असर इस्लामाबाद में नंवबर 2016 में होने वाले 19वें दक्षेस शिखर सम्मलेन के सफल आयोजन के लिए जरुरी माहौल पर पडा है.” भूटान की ओर से आगे कहा गया है, ‘‘इसके अलावा भूटान की शाही सरकार क्षेत्र में आतंकवाद के कारण शांति और सुरक्षा की बिगडती स्थिति पर दक्षेस के कुछ सदस्य देशों की चिंता से इत्तेफाक रखती है तथा वर्तमान हालात में दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल होने में अपनी असमर्थता व्यक्त करने में उन देशों के साथ है.” आठ सदस्यीय समूह में तीन सदस्य देशों के शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने की स्थिति में यह सम्मेलन ही रद्द हो जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान ने भी दक्षेस अध्यक्ष को जानकारी दी है कि राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाएंगे. अफगानिस्तान की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘‘अफगानिस्तान पर थोपे गए आतंकवाद के परिणामस्वरुप हिंसा और लडाई कहीं ज्यादा बढ गई है,” राष्ट्रपति गनी ‘‘सैन्य प्रमुख के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों में बेहद व्यस्त हैं, इसलिए वह सम्मेलन में शामिल नहीं हो सकेंगे.”
पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दरजा छीनेगा भारत!
सिंधु नदी जल संधि के बाद भारत अब पाकिस्तान को दिये व्यापार के लिहाज से तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे की समीक्षा करेगा. इसकाे लेकर पीएम मोदी ने गुरुवार को समीक्षा बैठक बुलायी है. इस बैठक में वाणिज्य मंत्रालय व विदेश मंत्रालय के अधिकारी हिस्सा लेंगे. उड़ी आतंकी हमले के बाद भारत पड़ोसी को कड़े संदेश देने की कोशिश में जुटा है. मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जे पर पुनर्विचार उसी कड़ी का हिस्सा है. भारत ने पाक को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था. बार-बार भरोसे के बाद भी पाक की तरफ से भारत को यह दर्जा अब तक नहीं दिया गया है. इस वजह से भी मांग होती रही है कि पाकिस्तान से ये दर्जा छीन लिया जाये. यह दर्जा विश्व व्यापार संगठन के शुल्क व व्यापार सामान्य समझौते के तहत दिया गया है. उद्योग मंडल एसोचैम के मुताबिक 2015-16 में भारत के 641 अरब डाॅलर के कुल वस्तु व्यापार में पाकिस्तान का हिस्सा मात्र 2.67 अरब डॉलर रहा.
क्या है एमएफएन स्टेट्स
वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन और इंटरनेशनल ट्रेड नियमों को लेकर एमएफए स्टेट्स दिया जाता है. एमएफएन दिये जाने पर दूसरे देश इस बात को लेकर आश्वस्त रहता है कि उसे व्यापार में नुकसान नहीं पहुंचाया जायेगा. भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था. इसकी वजह से पाकिस्तान को अधिक आयात कोटा और कम ट्रेड टैरिफ मिलता है.
पाकिस्तान के उच्चायुक्त फिर तलब: उड़ी हमले के सबूत सौंपे, गाइड के नाम भी बताये
भारत ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को एक बार फिर सम्मन किया और उन्हें उड़ी हमले से जुड़े सबूत सौंपे. विदेश सचिव एस जयशंकर ने बासित को बताया कि उड़ी हमले में आतंकियों को घुसपैठ कराने में गाइड की भूमिका निभानेवाले दो पाकिस्तानियों को ग्रामीणों ने 21 सितंबर को पकड़ा था. एक है फैजल हुसैन अवान और दूसरा है यासीन खुर्शीद, जो मुजफ्फराबाद के रहनेवाला है. दोनों से पूछताछ के आधार पर मारे गये चार आतंकियों में से एक की पहचान कर ली गयी है. उसका नाम हाफिज अहमद था. 23 सितंबर को अब्दुल कयूम को गिरफ्तार किया गया, जो सियालकोट का है. हैंडलर के रूप में मो कबीर अवान व बशरत की पहचान की है.