नीतीश कटारा की मां बोलीं, जूते-चप्पल नहीं मेरे बेटे का शरीर उन्होंने नष्ट किया था

नयी दिल्ली : नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषियों को 25 साल कारावास की सजा देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए पीड़ित की मां नीलम कटारा ने आज इस फैसले को अपनी ‘‘सबसे बड़ी जीत’ बताया. नीलम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आप सजा की अवधि देखिए. हमने मौत की सजा मांगी थी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 3, 2016 4:48 PM

नयी दिल्ली : नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषियों को 25 साल कारावास की सजा देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए पीड़ित की मां नीलम कटारा ने आज इस फैसले को अपनी ‘‘सबसे बड़ी जीत’ बताया. नीलम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आप सजा की अवधि देखिए. हमने मौत की सजा मांगी थी मगर न्यायालय ने पांच साल की सजा कम कर दी है. हम किसी जूतेे चप्पल की बात नहीं कर रहे, यह मेरे बेटे का शरीर था जिसे नष्ट कर दिया गया. इसलिए अगर मैं उसके लिए और दस साल की सजा की मांग करती तो यह भी कोई बड़ी बात नहीं होती. यह न्यायसंगत है.’ अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए लंबी और कठिन लड़ाई लड़ने वाली नीलम कटारा ने कहा कि उन्हें इस बात का संतोष है कि आमतौर पर उम्रकैद में दी जाने वाली 14 साल की सजा के मुकाबले उनके बेटे के हत्यारों को न्यायालय ने कहीं ज्यादा साल की सजा सुनाई है. नीलम ने कहा, ‘‘सजा की अवधि से मैं खुश हूं. उच्चतम न्यायालय ने इसे हत्या का आम मामला नहीं माना है क्योंकि यह इज्जत की खातिर कीगयी हत्या का सुनियोजित मामला था जिसे अमीर और ताकतवर लोगों ने अंजाम दिया था. यही वजह रही कि उच्चतम न्यायालय ने 14 साल की सजा नहीं दी.

उन्होंने कहा, ‘‘विकास यादव को 25 साल से पहले राहत नहीं मिलेगी और यह मेरी सबसेबड़ी जीत है. देश के युवाओं के लिए भी यह बहुत बड़ी बात है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने एक स्पष्ट रुख अपनाया है.’

दिल्ली के नजदीक गाजियाबाद में साल 2002 में 25 वर्षीय नीतीश कटारा का अपहरण कर उसे जलाकर मार डाला गया था. नीतीश और राजनेता डीपी यादव की बेटी भारती यादव प्रेम करते थे. जब नीतीश का अपहरण किया गया तब वह और भारती एक शादी समारोह में थे. उसका अपहरण भारती के भाई विकास यादव और विशाल ने किया था.

उच्च न्यायालय ने इसे ‘‘झूठी शान के लिए हत्या (ऑनर किलिंग)’ बताते हुए कहा था कि यह मामला ‘‘दुर्लभ में भी दुर्लभतम’ श्रेणी का है. साथ ही दोषियों को लंबी अवधि की जेल की सजा भी सुनाई थी. लेकिन उच्चतम न्यायालय ने दोषियों को मृत्युदंड देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनमें सुधार और पुनर्वास की संभावना को ‘‘अनदेखा नहीं किया जा सकता है और ना ही इससे इनकार किया जा सकता है.’ पिछले साल शीर्ष अदालत ने तीनों दोषियों की सजा को बरकरार रखते हुए कहा था कि इस देश में ‘‘न्याय के लिए केवल अपराधी ही चिल्ला रहे हैं.’ हालांकि उन्होंने दोषियों को मौत की सजा देने की नीलम कटारा की याचिका को भी खारिज कर दिया था.

आज के अपने आदेश में उच्चतम न्यायालय ने विकास यादव और विशाल यादव को 25 25साल कैद की सजा सुनाई है. उनके सहयोगी सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा सुनाईगयी है.

Next Article

Exit mobile version