मृत्युदंड खत्म करने की उठी आवाज
नयी दिल्ली : एक सार्वजनिक बयान में विविध राजनीतिक धाराओं के सैकड़ों गणमान्य नागरिकों ने मृत्युदंड का विरोध किया है. इन्होंने अपने-अपने कार्य और प्रभाव-क्षेत्र में मृत्युदंड की समाप्ति के लिए काम करने का वादा भी किया. बयान में ध्यान दिलाया गया है कि मृत्युदंड को समाप्त करने की विश्वव्यापी लहर के बीच भारत में […]
नयी दिल्ली : एक सार्वजनिक बयान में विविध राजनीतिक धाराओं के सैकड़ों गणमान्य नागरिकों ने मृत्युदंड का विरोध किया है. इन्होंने अपने-अपने कार्य और प्रभाव-क्षेत्र में मृत्युदंड की समाप्ति के लिए काम करने का वादा भी किया.
बयान में ध्यान दिलाया गया है कि मृत्युदंड को समाप्त करने की विश्वव्यापी लहर के बीच भारत में यह सजा जारी है. दुनिया के 70 प्रतिशत से ज्यादा देश कानून और व्यवहार में मृत्युदंड को समाप्त कर चुके हैं.
विरोध में दिये चार तर्क
– यह सजा क्रूर और बर्बर है.
– इस सजा से कोई ‘उद्देश्य पूरा नहीं होता’, और अपराध को रोक पाने के मामले में इसका कोई मोल नहीं है
– मृत्युदंड का फैसला मनमाने और अनुचित तरीके से सुनाया जाता है, इसके शिकार ज्यादातर गरीब और हाशिये के लोग होते हैं
– फांसी पर लटकाने के बाद जिंदगी नहीं लौट सकती. इसलिए जहां फैसला सुनाने में भूल-चूक की आशंका हो, फांसी का प्रावधान नहीं किया जा सकता
बयान पर हस्ताक्षर किये
आमिर खान, अभिजीत बनर्जी, अमिताभ घोष, आनंद तेलतुम्बड़े, आंद्रे बेती, अरु णा राय, बेजवाडा विल्सन, गुरचरण दास, जगदीश भगवती, जावेद अख्तर, जस्टिस प्रभाश्रीदेवन, जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर, केबी सक्सेना, मेधा पाटकर, करण थापर, एमएस स्वामीनाथन, एनआर नारायणमूर्ति, नंदिता दास, नेस वाडिया, पंकज मिश्र, प्रभात पटनायक, श्याम बेनेगल, रामचंद्र गुहा, शर्मिला टैगोर, सुरजीत भल्ला, स्वामीनाथन एसए अय्यर, उपेंद्र बख्शी, विक्र म सेठ, वृंदा ग्रोवर समेत सैकड़ों वकील, कलाकार, अर्थशास्त्री, लेखक और नागरिक शामिल हैं.
‘‘सारी जिंदगी मैं मौत की सजा खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध रहा हूं. सो जो लोग इस भयानक कानूनी प्रावधान को खत्म देखना चाहते हैं, उनकी आवाज में अपनी आवाज मिला कर मैं खुश हूं.
अमर्त्य सेन, अर्थशास्त्री