लोकसभा में चेयरमैन की जगह अब होगा चेयरपर्सन
नयी दिल्ली : लोकसभा में लिंग समानता को प्रोत्साहन देने के लिए कार्य संचालन के नियमों में संशोधन करते हुए इसे लिंग निरपेक्ष बनाया जा रहा है. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के निर्देश के बाद विद्यमान नियमों और निर्देशों में सिर्फ पुलिंग लिंग और पुलिंग सर्वनाम दर्शानेवाले पदनाम को बदल कर लिंग निरपेक्ष कर दिया […]
नयी दिल्ली : लोकसभा में लिंग समानता को प्रोत्साहन देने के लिए कार्य संचालन के नियमों में संशोधन करते हुए इसे लिंग निरपेक्ष बनाया जा रहा है. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के निर्देश के बाद विद्यमान नियमों और निर्देशों में सिर्फ पुलिंग लिंग और पुलिंग सर्वनाम दर्शानेवाले पदनाम को बदल कर लिंग निरपेक्ष कर दिया जायेगा.
उदाहरण के लिए चेयरमैन की कुरसी पर यदि महिला विराजमान होती है, तब भी उसे चेयरमैन ही कहा जाता है, न कि चेयरवूमैन. लेकिन अब नये नियम के मुताबिक चेयरमैन की कुरसी पर चाहे महिला हो या पुरुष उसे चेयरपर्सन कहा जायेगा. विद्यमान नियमों और निर्देशों में पुलिंग लिंग और पुलिंग सर्वनाम को दर्शानेवाले शब्द साधारण खंड अधिनियम 1897 की धारा 13 के अनुसार दोनों लिंगों को इंगित करते हैं.
लोकसभा की नियम समिति ने पांच फरवरी, 2014 को हुई समिति की बैठक में लिंग निरपेक्ष नियमों और निर्देशों संबंधी दस्तावेज को अनुमोदित किया. सदस्यों ने इस संबंध में अध्यक्ष द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना की और लिंग निरपेक्ष नियमों और निर्देशों को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया. नियम समिति का प्रतिवेदन छह फरवरी, 2014 को लोकसभा के पटल पर रखा गया. निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार लिंग निरपेक्ष नियम और निर्देश सदन द्वारा अनुमोदित किये जाने के बाद प्रभावी होंगे.
विगत कुछ वर्षों में अनेक देशों में वहां के संसद के कानूनों और नियमों को लिंग निरपेक्ष बनाने एवं समावेशी भाग में लिखे जाने के प्रयास किये गये हैं. साथ ही विद्यमान नियमों को भी लिंग निरपेक्ष बनाया जा रहा है. भारत में लोकसभा सचिवालय द्वारा यह अपनी तरह का पहला प्रयास किया गया है, जो एक आदर्श के रूप में कार्य करेगा और देश के कानून को लिंग निरपेक्ष बनाने की दिशा में नींव रखेगा. लिंग निरपेक्ष नियमों और निर्देशों का विधि और न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग द्वारा पुनरीक्षण किया गया है.