माओवादियों से कथित सांठगांठ के मामले में सोनी सोरी को जमानत
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों की तरफ से एस्सार समूह से कथित रुप से धन लेने के मामले में आदिवासी अध्यापिका सोनी सोरी की जमानत मंजूर की. गत वर्ष 12 नवंबर को माओवादियों से कथित सांठगांठ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोनी सोरी को अंतरिम जमानत दे दी थी. सोनी सोरी पर […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों की तरफ से एस्सार समूह से कथित रुप से धन लेने के मामले में आदिवासी अध्यापिका सोनी सोरी की जमानत मंजूर की.
गत वर्ष 12 नवंबर को माओवादियों से कथित सांठगांठ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोनी सोरी को अंतरिम जमानत दे दी थी. सोनी सोरी पर एस्सार समूह से सुरक्षा के बदले पैसे वसूलने के आरोप हैं. हालांकि एस्सार समूह माओवादियों को किसी तरह की रकम देने से इनकार करता है.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका, सोनी सोरी को पांच अक्तूबर 2011 को क्राइम ब्रांच और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त अभियान में दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया था.
सोनी सोरी के ख़लिाफ़ राज्य सरकार ने नक्सल गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ आठ अलग-अलग मुक़दमे दर्ज किए गए थे.
इनमें से पांच मामलों में सोनी सोरी को पहले ही निर्दोष क़रार दे दिया गया है. इसके अलावा एक मामला बंद हो चुका है और एक मामले में उन्हें पहले ही ज़मानत मिल चुकी है.
सोनी सोरी का मामला तब चर्चा में आया, जब अक्तूबर 2011 में कोलकाता के एक अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने सर्वोच्च अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सोरी के शरीर में कुछ बाहरी चीज़ें पायी गयीं. लेकिन यह टीम यह नहीं तय कर पायी कि ये चीज़ें कैसे उनके जननांगों में डाली गयीं.