नयी दिल्ली : गृह मंत्रालय ने उस ‘दुष्प्रचार’ का आज जोरदार ढंग से खंडन किया जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी डाक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल को भारत से वीजा नहीं मिल पाने के कारण वे यहां एक सम्मेलन में भाग नहीं ले सके. मंत्रालय ने कहा कि उसे पड़ोसी देश से किसी भी डाक्टर से ऐसा कोई वीजा आवेदन कभी नहीं मिला. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान ‘पूर्व संदर्भ वर्ग’ (पीआरसी) के तहत आता है और भारत में किसी भी सम्मेलन में आने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को वीजा आवेदन पर विचार के लिए काफी पहले से आवेदन करना होता है.
उन्होंने कहा, ‘पीआरसी वीजा आवेदन के लिए प्रतिक्रिया का समय कम से कम 10 दिन है. इसलिए व्यक्ति को अपने वीजा पर विचार के लिए पहले से ही आवेदन करना होता है.’ उन्होंने कहा, ‘सचाई यह है कि हमें भारत में किसी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान से किसी भी डाक्टर से ऐसा कोई आवेदन कभी नहीं मिला. यह आरोप लगाना बिल्कुल गलत है कि हमने वीजा देने से मना किया. यह कुछ और नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ दुष्प्रचार है.’
आयोजकों का दावा है कि पाकिस्तान से डाक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल को कैंसर की देखभाल पर आज से शुरू हो रहे चार दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में शामिल होना था, लेकिन वे शामिल नहीं हो सके क्योंकि इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्य वीजा हासिल करने में असमर्थ रहे. पाकिस्तानी सूत्रों ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ हेड एंड नेक ऑनकोलॉजिक सोसाइटीज (आईएफएचएनओएस) और फाउंडेशन फॉर हेड-नेक ऑनकोलॉजी (एफएचएनओ) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में ब्रिटेन, नेपाल, बांग्लादेश सहित करीब 15 देशों से डाक्टर भाग ले रहे हैं.
एक संवाददाता सम्मेलन में यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान से प्रतिनिधि यहां आये हैं, आयोजकों ने कहा, ‘उन्हें हिस्सा लेना था, लेकिन वे आ नहीं सके क्योंकि उन्हें वीजा नहीं मिल सका.’ सम्मेलन की आयोजन समिति के चेयरमैन डाक्टर आलोक ठाकर ने कहा, ‘कुछ डाक्टरों को इस सम्मेलन में अपना पर्चा प्रस्तुत करना था.’ पाकिस्तानी सूत्रों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में 25 डाक्टर शामिल थे, जबकि आयोजन समिति के एक अन्य सदस्य ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की संख्या 8-10 बताई.