Triple Talaq : बंटी पार्टियां, भाजपा ने प्रगतिशील कदम बताया, तो कांग्रेस ने कहा लागू करना असंभव

नयी दिल्ली : समान आचार संहिता का मुस्लिम संगठनों की ओर से पुरजोर विरोध किये जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने आज कहा कि इसे लागू करना असंभव होगा जबकि भाजपा ने कहा कि समान आचार संहिता का मकसद एक प्रगतिशील समाज की दिशा में बढ़ना है. जदयू ने आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व वाली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2016 5:25 PM

नयी दिल्ली : समान आचार संहिता का मुस्लिम संगठनों की ओर से पुरजोर विरोध किये जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने आज कहा कि इसे लागू करना असंभव होगा जबकि भाजपा ने कहा कि समान आचार संहिता का मकसद एक प्रगतिशील समाज की दिशा में बढ़ना है.

जदयू ने आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कई राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही है. ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि समान आचार संहिता लागू करने से भारत की विविधता और बहुलता खत्म हो जाएगी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार का मुख्य एजेंडा समाज को बांटना है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और देश के कुछ दूसरे प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने आज समान आचार संहिता पर विधि आयोग की प्रश्नावली का बहिष्कार करने का फैसला किया और सरकार पर उनके समुदाय के खिलाफ ‘युद्ध’ छेड़ने का आरोप लगाया. यहां प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुस्लिम संगठनों दावा किया कि यदि समान आचार संहिता को लागू कर दिया जाता है तो यह सभी लोगों को ‘एक रंग’ में रंग देने जैसा होगा, जो देश की बहुलता और विविधता के लिए खतरनाक होगा.

पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा, ‘‘भारत एक ऐसा देश है जहां कई समुदाय और समूहों के अपने पर्सनल लॉ हैं. ऐसे में समान आचार संहिता को लागू कर पाना असंभव है.” उन्होंने कहा कि किसी को इसे हिंदू बनाम मुस्लिम के मुद्दे के तौर पर नहीं लेना चाहिए. देश में 200-300 पर्सनल लॉ हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि विधि आयोग इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों की राय ले रहा है और इसके आधार पर वह एक राय बनाएगा और उच्चतम न्यायालय को सौंपेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला पर्सनल लॉ को करना है कि वे संबंधित पक्ष बने रहना चाहते हैं या फिर से एक अलग पहचान बनना चाहते हैं. अगर पर्सनल लॉ बोर्ड के लोगों के पास गलत सूचना है तो मैं इस बारे में बहुत ज्यादा नहीं कह सकता.”

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