मोदी-पुतिन मुलाकात में रूस-पाक सैन्य संबंधों पर भारत फिर दोहराएगा नाराजगी

बेनौलिम (गोवा) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच कल यहां होने वाली बैठक में भारत द्वारा रूस-पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे सैन्य संबंधों पर फिर से चिंता व्यक्त किए जाने की संभावना है. इस दौरान दोनों पक्ष रक्षा एवं परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में समझौतों पर हस्ताक्षर कर अपनी ‘विशेष एवं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2016 10:48 PM

बेनौलिम (गोवा) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच कल यहां होने वाली बैठक में भारत द्वारा रूस-पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे सैन्य संबंधों पर फिर से चिंता व्यक्त किए जाने की संभावना है. इस दौरान दोनों पक्ष रक्षा एवं परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में समझौतों पर हस्ताक्षर कर अपनी ‘विशेष एवं विशिष्ट भागीदारी’ को मजबूत करने पर ध्यान देंगे. भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले मॉस्को में भारतीय दूत पंकज सरन ने कहा कि जहां तक पाकिस्तान के साथ रूस के हालिया सैन्य अभ्यास की बात है तो ‘हम अपनी चिंताएं और विचार व्यक्त कर चुके हैं. हमें यकीन है कि रूस हमारी चिंता पर ध्यान देगा.’

यह शिखर सम्मेलन पाकिस्तान आधारित आतंकियों द्वारा किए गए उरी हमले के सप्ताहों बाद हो रहा है. सरन ने पूर्व में पाकिस्तान के साथ रूस के संयुक्त सैन्य अभ्यास पर भारत की आपत्ति से मॉस्को को अवगत कराते हुए कहा था कि जो देश ‘आतंकवाद को राज्य की नीति के रूप में प्रायोजित करता है और इसे अपनाता है’, उसके साथ अभ्यास से आगे समस्याएं और बढेंगी.

आतंकवादी एक महत्‍वपूर्ण मुद्दा

भारतीय दूत पंकज सरन ने यह भी कहा कि आतंकवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और दोनों नेताओं के बीच बैठक में इस पर चर्चा होगी तथा आतंकवाद रोधी सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रयास किया जाएगा. सूत्रों के अनुसार भारत यह भी उम्मीद करता है कि पाकिस्तान के साथ रुस अपने सैन्य सहयोग को कम करेगा. यह पूछे जाने पर कि क्या रुस-पाकिस्तान सैन्य अभ्यास एक बार का घटनाक्रम है और क्या रुस ने भारत की चिंताओं को दर्ज किया है,

सूत्रों ने कहा, ‘हमें लगता है कि रुस ने हमारी चिंताओं को समझा है और उम्मीद है कि कुछ कार्रवाई (सहयोग कम करना) होगी.’ दोनों पक्ष असैन्य परमाणु सहयोग क्षेत्र सहित एक दर्जन से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद कर रहे हैं. दोनों पक्षों ने कुडुनकुलम परियोजना के लिए यूनिट पांच और यूनिट छह के लिए सामान्य आधारभूत समझौता और क्रेडिट प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दे दिया है. उन्हें अरबों डॉलर के रक्षा समझौतों पर भी हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.

पुतिन से मुलाकात दोनों देशों के संबंधों का मतबूत करेगा : मोदी

इससे पूर्व, मोदी ने कहा, ‘पुतिन की यात्रा रुस के साथ हमेशा की परखी गई मित्रता एवं भागीदारी को मजबूत करने का एक अवसर प्रदान करेगी.’ सरन ने कहा कि दोनों नेता महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान प्रदान करेंगे. उन्होंने कहा, ‘भारत-रूस संबंध द्विपक्षीय आयाम से कहीं बढ़कर हैं. कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दे हैं जहां भारत और रुस दोनों के समान हित हैं.’ उन्होंने कहा कि व्यापक मुद्दों पर चर्चा होगी और एक या दो मुद्दे की बात करना अनुचित होगा. एजेंडे का ‘विषय व्यापक है और दोनों देशों के बीच जिस तरह के संबंध हैं, उनका यह पूरी तरह सम्मान करता है.’

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने भी भारत और रूस के बीच मतभेदों से इनकार किया. भारत ने हाल में अमेरिका के साथ साजो-सामान समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. इस कदम को इस तरह देखा गया कि भारत अपने पारंपरिक सहयोगी रूस से दूर जा रहा है.

भारत-रूस के बीच बेजोड़ पारस्‍परिक संबंध : जीवी श्रीनिवास

विदेश मंत्रालय में रूस से संबंधित मामले देखने वाले संयुक्त सचिव जीवी श्रीनिवास ने कहा, ‘मैं जोर देना चाहूंगा कि भारत-रूस के बीच विशेष एवं विशिष्ट संबंध बेजोड़ पारस्परिक विश्वास, भरोसे और सद्भावना से ओत-प्रोत हैं.’ उन्होंने कहा, ‘भारत और रूस के व्यापक भू राजनीतिक हित अधितकर मामलों में टकराते नहीं हैं, बल्कि वे एक-दूसरे के सहयोग में भी रहते हैं. द्विपक्षीय भागीदारी सहयोग के सबसे व्यापक क्षेत्रों से लबरेज है जो कल भी दिखेगा.’

श्रीनिवास ने कहा कि रूस की शंघाई सहयोग संगठन में भारत की सदस्यता सुनिश्चित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने कहा कि ‘उन्होंने (रूस ने) एमटीसीआर (मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था) में भी हमारा समर्थन किया और परमाणु आपिूर्तकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भी हमारे आवेदन का समर्थन किया. इस तरह, भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी समझ है.’

Next Article

Exit mobile version