ब्रिक्स सम्मेलन में पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक हमले तेज करेगा भारत

बेनॉलिम (गोवा) : रविवार को ब्रिक्स के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी के दौरान भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कवायद जारी रखते हुए इस पड़ोसी देश के खिलाफ अपना कूटनीतिक हमला तेज करेगा. इसके अलावा, आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र वैश्विक प्रतिज्ञा के लिए समर्थन जुटाने सहित सहयोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2016 10:57 PM

बेनॉलिम (गोवा) : रविवार को ब्रिक्स के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी के दौरान भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कवायद जारी रखते हुए इस पड़ोसी देश के खिलाफ अपना कूटनीतिक हमला तेज करेगा. इसके अलावा, आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र वैश्विक प्रतिज्ञा के लिए समर्थन जुटाने सहित सहयोग बढ़ाने के भी प्रयास करेगा. पांच देशों के समूह ब्रिक्स के इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अलावा ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के नेता भी हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन में आतंकवाद के खतरे से मुकाबले और कारोबार एवं निवेश बढ़ाने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों के नेता ‘ऐसी अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने पर चर्चा करेंगे जो हमारे लक्ष्यों की राह में बाधा पैदा करते हैं.’ मोदी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘मैं इस बात को लेकर आशावान हूं कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ब्रिक्स के भीतर सहयोग को मजबूत करेगा और विकास, शांति, स्थिरता एवं सुधार को लेकर हमारा साझा एजेंडा पूरा करेगा.’ ब्रिक्स में शामिल पांचों देश दुनिया के 3.6 अरब लोगों यानी करीब आधी आबादी की नुमाइंदगी करते हैं और उनका कुल जीडीपी 16.6 खरब अमेरिकी डॉलर है. आतंकवाद से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए कॉम्प्रीहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म (सीसीआईटी) पर संयुक्त राष्ट्र में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए भारत ब्रिक्स देशों के बीच एकता की पुरजोर वकालत कर सकता है. सीसीआईटी की पहल भारत की ओर से की गई थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच आतंकवाद की परिभाषा को लेकर मतभेद के कारण यह फंसा पड़ा है. आतंकवाद से मुकाबले के मामले में ब्रिक्स देशों के बीच ज्यादा सहयोग पर भी भारत जोर दे सकता है. ब्रिक्स सम्मेलन से पहले मोदी कल पुतिन एवं अन्य नेताओं के साथ आतंकवाद के मुद्दे को उठा सकते हैं. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रूस में भारत के राजदूत पंकज सरन ने पाकिस्तान के साथ रूस के संयुक्त सैन्य अभ्यास पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत को मॉस्को से अपेक्षा है कि वह हमारी चिंताओं पर गौर करेगा. पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की ओर से उरी में हमला करने के कुछ ही सप्ताह बाद यह शिखर सम्मेलन हो रहा है. ऐसे में भारत इस सम्मेलन में अत्यंत जोरदार तरीके से अपनी बात रखेगा. इस शिखर सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक विस्तारित बैठक भी होगी ताकि आतंकवादियों को पनाह एवं हथियार मुहैया करा रहे देशों के खिलाफ कार्रवाई समेत आतंकवाद से निपटने के प्रयासों को तेज किया जा सके. भारत ने सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन के मामले पर यूएनजीए के साथ साथ जी-20 में भी मजबूती से अपनी बात रखी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा था कि ‘दक्षिण एशिया में एक ही देश’ क्षेत्र में ‘आतंक के एजेंट’ फैला रहा है और इसे अलग-थलग करना होगा. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यूएनजीए में कहा था कि उरी समेत भारत में आतंकवादी हमले करने वाले गिरफ्तार आतंकवादियों के इकबालिया बयान ‘सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान की मिलीभगत का जीता-जागता सबूत है.’

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