सुप्रीम कोर्ट ने मार्कंडेय काटजू से पूछा, सौम्‍या रेप कांड में हम कहां गलत हैं

नयी दिल्ली : एक अप्रत्याशित कदम के तहत उच्चतम न्यायालय ने आज अपने पूर्व न्यायाधीशों में एक मार्कंडेय काटजू को उन ‘बुनियादी खामियों’ का बताने के लिए पेश होने का सम्मन जारी किया जिसका उन्होंने सनसनीखेज सौम्या बलात्कार मामले में दावा किया है. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2016 9:33 PM

नयी दिल्ली : एक अप्रत्याशित कदम के तहत उच्चतम न्यायालय ने आज अपने पूर्व न्यायाधीशों में एक मार्कंडेय काटजू को उन ‘बुनियादी खामियों’ का बताने के लिए पेश होने का सम्मन जारी किया जिसका उन्होंने सनसनीखेज सौम्या बलात्कार मामले में दावा किया है.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा, ‘‘वह (न्यायमूर्ति काटजू) एक भद्र पुरुष हैं. हम उनसे व्यक्तिगत रुप से यहां आने और इस फैसले पर अपने आलोचनात्मक फेसबुक पोस्ट पर बहस करने का अनुरोध करते हैं. उन्हें अदालत में आने दीजिए और उन्हें हमारे फैसले में बुनियादी खामियों को लेकर बहस करने दीजिए.” पीठ ने उन्हें नोटिस भेजा.

इस मामले में उच्चतम न्यायालय की मदद कर रहे अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि यह पहली बार हुआ है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने पूर्व न्यायाधीश को किसी मामले के सिलसिले में व्यक्तिगत रुप से पेश होने के लिए कहा है. ” अपने फेसबुक पोस्ट में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) काटजू ने यह कहते हुए शीर्ष अदालत की आलोचना की थी कि उसने इस मामले में आरोपी गोविंदचामी को हत्या का दोषी नहीं ठहराकर बहुत बड़ी गलती की है.

शीर्ष अदालत ने केरल सरकार और सौम्या की मां की समीक्षा याचिका पर यह कहते हुए अल्पकालिक विराम लगा दिया कि वह पहले न्यायमूर्ति काटजू से उनके फेसबुक पोस्ट पर बहस करेगी. पीठ ने न्यायमूर्ति काटजू से 11 नवंबर की सुनवाई में पेश होने को कहा जिसमें इस बात पर बहस होगी कि इस पीठ का 15 सितंबर का फैसला किसी मौलिक खामियों से ग्रस्त है या नहीं. न्यायमूर्ति काटजू को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने उनका फेसबुक पोस्ट भी उद्धृत किया.

* क्‍या था मामला

ज्ञात हो 23 साल की सौम्‍या 1 फरवरी 2011 को एर्णाकुलम से शोरनूर जा रही थी तभी गोविंदाचामी ने उसे ट्रेन से बाहर फेंक दिया और खुद भी कूद गया. बाद में बूरी तरह से घायल सौम्‍या के साथ उसने रेप किया.

* काटजू ने कोर्ट के फैसले पर क्‍या टिप्‍पणी की थी

पढ़ें, इस मामले पर काटजू का ब्लॉग

काटजू ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा था, ‘‘यह खेदजनक है कि अदालत ने धारा 300 को सावधानीपूर्वक नहीं पढ़ा है. इस फैसले की खुली अदालत में सुनवाई के दौरान समीक्षा की जरुरत है. ” इसी मुद्दे पर एक अन्य पोस्ट में न्यायमूर्ति काटजू ने लिखा, ‘‘मैं कहता हूं कि उच्चतम न्यायालय ने आरोपी को हत्या का दोषी नहीं ठहराकर कानूनन भूल की है और उसके फैसले की इस हद तक समीक्षा की जरुरत है.” उन्होंने 15 सितंबर को फेसबुक पोस्ट में केरल में एक फरवरी, 2011 को ट्रेन से धक्का देकर गिराने के बाद 23 वर्षीय सौम्या से बलात्कार करने को लेकर गोविंदचामी को सुनायी गयी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के फैसले की आलोचना की थी. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राज्य और सौम्या की मां ने समीक्षा याचिकाएं दायर की थीं.

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