नयी दिल्ली : निश्चित सीमा से अधिक विदेशी और घरेलू अनुदान प्राप्त कर रहे गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और उनके कर्मचारियों को लोकपाल कानून के तहत अनिवार्य रूप से अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा देना होगा. जिसके साथ उनसे यह घोषणा भी करने को कहा गया है कि क्या उनके पास याट और विमान हैं. एनजीओ और उनके कर्मचारियों को अपनी संपत्ति की घोषणा के फॉर्म में आभूषण, नगदी, बैंकों में जमा धनराशि, बांड, डिबेंचरों और शेयरों का ब्योरा भी देना होगा.
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अनुसार सभी सरकारी सेवकों को हर साल अपनी संपत्तियों और देनदारियों का विवरण देना होगा. इन अधिकारियों में किसी एनजीओ में निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य किसी अधिकारी के रूप में काम कर रहे या कर चुके लोग भी शामिल हैं. इस तरह की सूचना जमा करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर, 2016 है.
हालांकि अधिनियम के अनुसार ये प्रावधान उन एनजीओ पर लागू हैं जिन्हें सरकारी अनुदान के रूप में एक करोड़ रुपये से अधिक और विदेश से 10 लाख रुपये से ज्यादा का चंदा मिलता है.ऐसे लोगों को राष्ट्रीय बचत योजना, डाक बचत योजनाओं, बीमा पॉलिसियों आदि में निवेश की जानकारी भी देनी होगी.
याट और विमान के बारे में जानकारी मांगे जाने पर गैर-सरकारी संगठनों ने आलोचना की है. एनजीओ कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशियेटिव के साथ काम कर रहे वेंकटेश नायक ने कहा, ‘याट और अन्य ऐसी कुछ चल संपत्तियां एनजीओ के स्वामित्व में होने की संभावना नहीं है. उन्हें संपत्ति घोषणा पत्र में शामिल करने का कोई मतलब नहीं है.’