11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कावेरी विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक से तमिलनाडु को दो हजार क्यूसेक पानी छोड़ने को कहा

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कर्नाटक को अगले आदेश तक तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का दो हजार क्यूसेक पानी प्रति दिन छोड़ने का अपना निर्देश जारी रखा और दोनों राज्यों की सरकारों से शांति एवं सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए कहा. शीर्ष अदालत ने कहा कि नागरिकों को खुद ही कानून नहीं […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कर्नाटक को अगले आदेश तक तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का दो हजार क्यूसेक पानी प्रति दिन छोड़ने का अपना निर्देश जारी रखा और दोनों राज्यों की सरकारों से शांति एवं सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए कहा. शीर्ष अदालत ने कहा कि नागरिकों को खुद ही कानून नहीं बनना चाहिए. कावेरी जल की साझेदारी पर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच विवाद से उपजे विभिन्न मुद्दों पर महत्वपूर्ण सुनवाई शुरु करने वाली न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि उसका पहला इरादा न्यायाधिकरण के 2013 के फैसले के खिलाफ केरल और दोनों राज्यों की अपीलों को विचारार्थ स्वीकार करने के मुद्दे पर फैसला करने का है.

पीठ ने कहा, ‘हमारा इरादा सबसे पहले कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल द्वारा दायर अपीलों को विचारार्थ स्वीकार करने के मुद्दे पर फैसला सुनाने का है. फिलहाल, चार अक्तूबर का कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए प्रति दिन दो हजार क्यूसेक पानी छोड़ने के निर्देश का अंतरिम आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा.’ अदालत ने कर्नाटक की इस दलील पर गौर किया कि उसने तमिलनाडु को दो हजार क्यूसेक पानी छोड़ने के पिछले आदेश का अनुपालन किया है.

कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों ने कहा कि उन्हें पानी की बहुत जरुरत है जिसका अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी समर्थन किया. सुनवाई के दौरान, रोहतगी ने कहा कि क्षेत्र की जमीनी वास्तविकताओं के आकलन को लेकर कावेरी बेसिन के निरीक्षण के लिए गठित शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. पीठ ने कहा कि वह सबसे पहले न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी द्वारा दायर अपीलों को विचारार्थ स्वीकार किये जाने के मुद्दे पर गौर करेगी और फिर समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर दलीलें सुनेगी.

अटार्नी जनरल ने कहा कि राज्यों द्वारा दायर अपीलें संविधान के अनुच्छेद 131 और 262 तथा अंतरराज्यीय नदी जल विवाद निपटारा कानून 1956 के प्रावधानों के अनुरुप विचारणीय नहीं हैं. उन्होंने कहा कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार, एक न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश (डिक्री) उच्चतम न्यायालय के आदेश की तरह है जो अपने ही आदेश के खिलाफ अपीलें नहीं सुन सकती.

कर्नाटक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एवं चर्चित विधिविद फली एस नरीमन ने कहा कि अपीलें विचारणीय हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ही दो राज्यों के बीच विवादों को सुलझा सकता है. सुनवाई पूरी नहीं हुई जो कल भी जारी रहेगी जब तमिलनाडु अपीलों के विचारणीय होने के बारे में अपनी दलीलें पेश करेगा. शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समति ने कल अपने निष्कर्ष में इस समस्या को सुलझाने के लिए ‘पुरानी और अवैज्ञानिक जल उपयोग तरीकों’ को खत्म करने का सुझाव दिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें