भुवनेश्वर : ओडिशा के भुवनेश्वर में जिस निजी अस्पताल में भयंकर आग लगने से 20 मरीजों की मौत हो गयी, उसके खिलाफ लापरवाही के आरोप में आज दो भिन्न प्राथमिकियां दर्ज की गयीं जबकि अस्पताल प्रशासन ने चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया. इसके साथ ही अस्पताल अधीक्षक और तीन अन्य को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.
इस घटना की कई जांच शुरू हो गयी हैं जबकि 100 से अधिक मरीज अन्य अस्पतालों में भेज दिए गए. उनमें ज्यादातर आग से बुरी तरह नष्ट हो गए सघन चिकित्सा कक्ष और डायलिसिस यूनिट के मरीज हैं. वैसे अधिकारिक रुप से 20 लोगों के मरने की पुष्टि की गयी है लेकिन कल रात जिन अस्पतालों में घायलों को भेजा गया, उनके अधिकारियों ने आग में जान गंवाने वालों की संख्या 22 बतायी है.
एसीपी पी के पटनायक ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशालय के संयुक्त निदेशक उमाकांत सतपति और अग्निशमन अधिकारी (मध्य सर्किल) बी बी दास द्वारा दो भिन्न-भिन्न प्राथमिकियां दर्ज करायी गयी हैं. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही मामलों में सम अस्पताल के प्रशासन के खिलाफ तौर तरीकों और सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया गया है. मामला शीघ्र ही दर्ज किया जाएगा.” स्वास्थ्य सचिव आरती आहूजा ने बताया कि 106 मरीजों का शहर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है जिन्हें कल रात भयंकर आग के बाद निजी सम अस्पताल से स्थानांतरित किया गया था. ऐसी खबर है कि उनमें कुछ की हालत नाजुक है. एक अधिकारी के अनुसार इन 106 मरीजों में ज्यादातर आईसीयू और डायलिसिस यूनिट से हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि चार मंजिला सम अस्पताल में ज्यादातर मौतें दम घुटने से हुईं. आईसीयू में ज्यादातर मरीज जीवनरक्षक प्रणाली पर थे. इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और सम अस्पताल चलाने वाले शिक्षा ‘ओ’ अनुसंधान विश्वविद्यालय (एसओयू) ने अपने चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और आग में जान गंवाने वाले व्यक्तियों के परिवारों के लिए पांच पांच लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है.
एसओयू के कुलपति अमित बनर्जी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि जिन्हें निलंबित किया गया है, उनमें एक अग्निशमन अधिकारी, दो इंजीनियर और एक अस्पताल प्रबंधक हैं. उन्होंने अस्पताल के प्रबंधन में किसी प्रकार की अनियमितता के आरोप से इनकार किया.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पारदर्शिता बनाए रखने के अस्पताल के प्रयास के तहत चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. ताकि कल को कोई यह आरोप नहीं लगाए कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गइर.” उधर, आहूजा ने बताया कि जांच ठीक ढंग से हो, यह सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल के गहन चिकित्सा केंद्र (आईसीयू), और डायलिसिस इकाई को सील कर दिया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि पहले तल पर डायलिसिस वार्ड में इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट होने से आग लगी. बाद में आग आईसीयू तक फैल गई. कुछ मरीजों को इलाज के वास्ते कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भी भेजा गया है.
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मरीजों का हालचाल जानने एम्स और एएमआरआई अस्पताल समेत कुछ अस्पतालों का दौरा किया. ओडिशा सरकार पहले ही चिकित्सीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण के निदेशक द्वारा उच्च स्तरीय जांच का आदेश दे चुकी है. एक अधिकारी के मुताबिक, इसके अलावा राजस्व संभागीय आयुक्त द्वारा जांच के आदेश भी हैं.
बनर्जी ने इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने की वजह मरीजों को निकालने की गलत प्रक्रिया को बताने के आरोप का खंडन किया और कहा, ‘‘हमने मरीजों को निकालने की श्रेष्ठ प्रक्रिया का पालन किया. यदि ऐसा नहीं किया होता तो हताहतों की संख्या और अधिक होती.”