पहले भी हुए हैं सर्जिकल स्ट्राइक, पहली बार इसकी जानकारी सबको दी गयी

नयी दिल्ली : सर्जिकल स्ट्राइक पर हो रही राजनीतिक बयानबाजी के बीच सरकार की तरफ से एक संसदीय पैनल को बताया गया है कि भारतीय सेना ने पहले नियंत्रण रेखा के पार जो आतंकवादी विरोधी अभियान चलाए थे, वो एक खास टारगेट वाले सीमित क्षमता के अभियान थे. लेकिन यह पहला मौका है, जब सरकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2016 10:07 AM

नयी दिल्ली : सर्जिकल स्ट्राइक पर हो रही राजनीतिक बयानबाजी के बीच सरकार की तरफ से एक संसदीय पैनल को बताया गया है कि भारतीय सेना ने पहले नियंत्रण रेखा के पार जो आतंकवादी विरोधी अभियान चलाए थे, वो एक खास टारगेट वाले सीमित क्षमता के अभियान थे. लेकिन यह पहला मौका है, जब सरकार ने इसे रणनीति के तहत सार्वजनिक किया है.सवालों के जवाब संसद की एक समिति को दी गयी है. जिसमें कहा गया है कि सेना ने पहले भी नियंत्रण रेखा के पार जाकर आतंकवादियों को करारा जवाब दिया है.

विदेश सचिव एस जयशंकर ने विदेश मामलों से संबंधित संसदीय समिति को यह जानकारी कल दी.जयशंकर ने कहा, यह पहला मौका है जब सरकार ने इस तरह के ऑपरेशन की जानकारी सार्वजनिक की है. सर्जिकल स्ट्राइक के मामले पर राजनीति तेज है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी कांग्रेस के शासनकाल के दौरान किसी भी तरह के सर्जिकल स्ट्राइक को नकार दिया था. ऐसे में विदेश सचिव एस जयशंकर की यह टिप्पणी बेहद अहम मानी जा रही है.

बैठक में शामिल सरकारी सूत्रों की मानें तो, जयशंकर ने समिति से यह भी कहा कि 29 सितंबर के लक्षित हमले के बाद भी भारत पाकिस्तान से बातचीत कर रहा है, लेकिन भविष्य की बातचीत तथा इसके स्तर के बारे में कोई कैलेंडर नहीं तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के समाप्त होने के बाद जल्द ही पाकिस्तानी सेना के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) को हमलों के बारे में सूचित कर दिया गया था.

सरकारी सूत्रों ने कहा, ‘‘विदेश सचिव ने कहा कि अहम मुद्दा यह है कि हमने लक्षित हमले करने के बाद सार्वजनिक तौर पर इसकी जानकारी दी जिससे एक राजनीतिक-सैन्य संदेश गया. पहले सीमा पार की गई कि नहीं, इसके बारे में सिर्फ सेना जानती है. लेकिन यह अप्रासंगिक है, क्योंकि कोई संदेश ही नहीं दिया गया.’ विदेश मामलों से जुडी संसदीय समिति में हुए वाकयों के बारे में स्पष्टीकरण तब दिया गया जब कुछ विपक्षी सांसदों ने विदेश सचिव के हवाले से कहा कि सेना ने ‘‘नियंत्रण रेखा के पार पहले भी विशिष्ट लक्ष्य पर, सीमित-क्षमता के आतंकवाद निरोधक अभियानों’ को अंजाम दिया है, लेकिन पहली बार सरकार ने इसके बारे में सार्वजनिक तौर पर जानकारी दी.
करीब ढाई घंटे चली बैठक के दौरान सेना के उप प्रमुख ले.जनरल बिपिन रावत ने भी नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के ठिकानों पर लक्षित हमले की जानकारी दी है. सरकार के प्रतिनिधियों ने पैनल से कहा कि हमलों ने मकसद को अभी पूरा कर दिया है और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान में हमेशा यह संदेह कायम रहेगा कि क्या भारत भविष्य में भी ऐसे अभियान चला सकता है ? .
इस सवाल पर जवाब मिला, सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि ‘काफी कुछ सहने के बाद’ हमले किए गए. इस बैठक में सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर कई सवाल किये गये. कई सवालों के जवाब उन्हें दिये गये जबकि कई सवालों पर कहा गया कि सेना वहां एक्शन लेने गयी थी सबूत इकट्ठा करने नहीं. इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में भी चर्चा हुई. जिसमें महत्वपूर्ण लोगों को दी जा रही सुरक्षा पर भी चर्चा की गयी.

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