कालाधन अभियान में ‘सर्जिकल स्ट्राइक” होता तो 65 हजार करोड़ रुपये का पता नहीं चलता: PM
वड़ोदरा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक की उपमा का इस्तेमाल करते हुए शनिवार को यह जिज्ञासा जतायी कि यदि सरकार ने कालेधन के खिलाफ हाल के उस अभियान में ऐसी ही रणनीति का इस्तेमाल किया होता तो क्या होता, जिसमें 65 हजार करोड़ रुपये का पता लगा. मोदी ने कहा, ‘हमने कालाधन कमाने […]
वड़ोदरा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक की उपमा का इस्तेमाल करते हुए शनिवार को यह जिज्ञासा जतायी कि यदि सरकार ने कालेधन के खिलाफ हाल के उस अभियान में ऐसी ही रणनीति का इस्तेमाल किया होता तो क्या होता, जिसमें 65 हजार करोड़ रुपये का पता लगा. मोदी ने कहा, ‘हमने कालाधन कमाने वालों को (उसे घोषित करने के लिए) कुछ समय दिया था. आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि कर एवं दंड चुकाकर 65 हजार करोड़ रुपये कालाधन मुख्यधारा में सामने आया.’ उन्होंने कहा, ‘अब सोचिये कि 36 हजार करोड़ रुपये जिसका रिसाव हो रहा था उसे (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के जरिये रोक दिया गया, और 65 हजार करोड़ रुपये कालाधन का पता चला. दोनों मिलाकर यह एक लाख करोड़ रुपये होता है.’
उन्होंने हाल में सेना द्वारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ संचालित अभियान के लिए इस्तेमाल शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘यह एक लाख करोड़ रुपये लक्षित हमला किये बिना वापस लाया गया.’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘यदि हम (इस क्षेत्र में) लक्षित हमला करें, आप कल्पना कर सकते हैं कि क्या सामने आएगा.’ मोदी ने कहा कि उन्होंने सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सतत लड़ाई शुरू की है.
भ्रष्टाचार के खिलाफ बिना प्रचार के सतत लड़ाई
मोदी ने कहा, ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ, बिना किसी अधिक प्रचार के मैंने एक सतत लडाई शुरु की है. सरकारी सहायता (अब) बिचौलियों को हटाते हुए सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जाती है.’ उन्होंने कहा, ‘केवल यह सुनिश्चित करके कि सही व्यक्ति को लाभ मिले और गलत व्यक्ति को वह नहीं मिल सके, हमने 36 हजार करोड़ रुपये बचाये जो पहले गैस सिलेंडर (के लिए सब्सिडी), छात्रवृत्ति, पेंशन (कुछ गलत हाथों में जाने) के रूप में रिस जाते थे.’ मोदी यहां आठ हजार से अधिक दिव्यांगों को सहायक उपकरण वितरित करने के लिए आयोजित एक शिविर में बोल रहे थे. उन्होंने दिव्यांगों के लिए बहुत कुछ नहीं करने के लिए पूववर्ती सरकारों की आलोचना भी की.
यह देश दिव्यांगों के प्रति असंवेदनशील रहा है
दिव्यांगों को सहायक उपकरण वितरित करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जाने अनजाने यह देश दिव्यांगों के प्रति असंवेदनशील रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘सरकारी इमारतों में केवल स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सुविधाएं थीं. हमने सुगम्य भारत अभियान शुरू किया ताकि सरकारी इमारतें, अस्पताल, प्लेटफार्मों का निर्माण इस तरह से हो कि उनमें दिव्यांगों के लिए पहुंच सुविधा हो.’ उन्होंने कहा, ‘पूर्ववर्ती सरकारों ने इस क्षेत्र में बहुत कुछ नहीं किया.’
मोदी ने कहा, ‘पूर्व में सरकारों ने भी इस दिशा में काम किया। यद्यपि आपको यह जानकार हैरानी होगी कि 1992 में जब इस दिशा में काम शुरू हुआ था उसके बाद से 2014 तक दिव्यांगों के लिए (सहायता उपकरण वितरण के लिए) ऐसे मात्र 56 शिविरों का आयोजन हुआ. इस सरकार के आने के बाद 4500 ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन हुआ.’ उन्होंने कहा, ‘अभी तक देशभर के 5.50 लाख दिव्यांगों को सीधे लाभ हुआ है.’
दिव्यांगों के 14500 पद भरे जा चुके हैं
मोदी ने कहा, ‘मुझे पता चला कि केंद्र सरकार में दिव्यांगों के लिए 16500 पद खाली हैं. मैंने अपने मंत्रियों से इन खाली पदों को भरने के लिए कहा। मैं यह संतुष्टि से कह सकता हूं कि ऐसे 14500 पद भरे जा चुके हैं.’ प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने ‘आम सांकेतिक भाषा’ के लिए काम शुरू किया है क्योंकि वर्तमान समय में देश के विभिन्न हिस्सों में अलग अलग सांकेतिक भाषाएं इस्तेमाल होती हैं.
उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत विश्व में एक उज्ज्वल स्थान है. उन्होंने कहा, ‘आज पूरे विश्व में इस देश के बारे में एक चीज की प्रशंसा होती है. विश्व कहता है कि भारत सबसे तेजी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था है. चाहे वह विश्व बैंक हो, आईएमएफ हो या क्रेडिट रेटिंग एजेंसी हो, पूरा विश्व एक स्वर में कह रहा है कि भारत बहुत तेजी से विकास कर रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘सभी समस्याओं का हल विकास में निहित है. विकास से ही निरक्षरता, बीमारी, गरीबी को मिटाया जा सकता है.’ मोदी ने कहा, ‘2014 या 2013 के दिन याद हैं, शीर्षक क्या होते थे? उन्होंने कोयले में इतना (भ्रष्टाचार) किया, इतना स्पेक्ट्रम में किया. जब से आपने मुझे जिम्मेदारी सौंपी है, ढाई वर्षों में खबरें दिव्यांगों के लिए अच्छा काम करने, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की प्रगति एवं विकास की होती हैं.’