नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने विवादित मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ जारी ‘लुक आउट सर्कुलर’ (एलओसी) पर आज 16 नवंबर तक केलिए रोक लगा दी. अदालत ने उन्हें निर्देश दिया कि उनके खिलाफ दायर धनशोधन मामले में वह पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश हों. बहरहाल, न्यायमूर्ति एके पाठक ने कुरैशी को 22 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश होने का निर्देश देतेहुए उन्हें गिरफ्तारी या किसी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया.
एजेंसी से एलओसी जारी होने के बावजूद कुरैशी हाल में विदेश गए थे.
न्यायमूर्ति पाठक ने कहा, ‘‘मैं कोई अंतरिम आदेश नहीं देने जा रहा. बहरहाल, 16 नवंबर तक (प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जारी) एलओसी स्थगित रहेगी.’ अदालत ने यह भी कहा कि वह एजेंसी को कुरैशी के खिलाफ कोई ‘‘दंडात्मक कार्रवाई’ करने से रोकने नहीं जा रही.
अदालत ने कहा, ‘‘आप प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश हों. आपको गिरफ्तार करना या नहीं करना उन पर है. मैं कुछ नहीं कहने जा रहा हूं. अगर आप अपने खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं चाहते तो आप अंतरिम जमानत के लिए जाएं.’ अदालत का यह निर्देश उस समय आया जब कुरैशी ने अपनी बेटी के मार्फत एक याचिका दायर कर आग्रह किया कि जांच में उनके शामिल होने के बाद वह गिरफ्तारी या किसी दंडात्मक कार्रवाई से उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाये.
कुरैशी के वकील आरके हंज्ञडू ने यह भी कहा कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दाखिल प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) भी निरस्त की जाए क्योंकि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है.
न्यायमूर्ति ने यह आग्रह ठुकराते हुए कहा, ‘‘जांच के इस प्रारंभिक चरण में ईसीआईआर कैसे निरस्त की जा सकती है?’ बहरहाल, अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, प्रवर्तन निदेशालय और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ) को नोटिस जारी कर उन्हें ईसीआईआर निरस्त करने के कुरैशी के आग्रह पर चार हफ्तों के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया. प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन अधिनियम के तहत कुरैशी के खिलाफ दर्ज एक मामले के सिलसिले में उन्हें अगले हफ्ते अपने जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने को कहा था.
कुरैशी एक निचली अदालत का आदेश दिखा कर दुबई जाने में कामयाब रहे थे. यह आदेश आयकर के एक मामले में था जिसमें उन्हें जमानत प्रदान की गयी थी, लेकिन इसका कोई रिश्ता उस मामले से नहीं था जिसके संबंध में उन्हें एलओसी जारी किया गया था.
प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन अधिनियम के तहत पिछले साल एक मामला दर्ज किया था. वह कथित कर-चोरी और हवाला जैसे कथित लेन-देन के सिलसिले में जांच एजेंसियों के दायरे में थे.