नयी दिल्ली : विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक का गैर सरकारी संगठन जल्द ही आतंकवाद निरोधक कानून के तहत प्रतिबंधित होगा. गृह मंत्रालय इसके लिए मसौदा कैबिनेट नोट तैयार कर रहा है. एक सरकारी सूत्र ने बताया कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को गैर कानूनी गतिविधियां निवारण कानून के तहत ‘गैर कानूनी संगठन’ घोषित किया जाएगा क्योंकि गृह मंत्रालय की जांच में पाया गया कि अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक चैनल पीस टीवी के साथ यह संदिग्ध रूप से जुड़ा हुआ है और इस पर आतंकवाद को बढावा देने का आरोप है.
मसौदा नोट के मुताबिक आईआरएफ प्रमुख नाईक ने कथित तौर पर कई भडकाऊ भाषण दिये और आतंकवादी दुष्प्रचार में शामिल रहे. यह नोट महाराष्ट्र पुलिस से प्राप्त जानकारी पर भी आधारित है. महाराष्ट्र पुलिस ने भी युवकों को कट्टर बनाने और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के प्रति आकर्षित करने को लेकर नाईक के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किये हैं. सूत्रों ने दावा किया कि नाईक ने ‘आपत्तिजनक’ कार्यक्रम बनाने के लिए आईआरएफ के विदेशी धन को पीस टीवी में स्थानांतरित किया. अधिकतर कार्यक्रम भारत में बनाये गये जिनमें नाईक के कथित नफरत वाले बयान थे जिसने पीस टीवी पर कथित तौर पर ‘सभी मुस्लिमों से अपील की कि आतंकवादी बनें.’
नाईक द्वारा संचालित दो शैक्षणिक ट्रस्ट भी गृह मंत्रालय की नजर में आए हैं और उनकी गतिविधियों पर एजेंसियों की नजर है. सूत्रों ने बताया कि मसौदा नोट को जल्द ही केंद्रीय कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा जिसके प्रमुख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. नाईक पर युवकों को कट्टर बनाने और विदेशी धन प्राप्त करने तथा युवकों को आतंकवाद के प्रति आकर्षित करने का आरोप है. वह सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर तब आया जब बांग्लादेश के अखबार ‘डेली स्टार’ ने खबर दी कि ढाका में एक जुलाई को हुए आतंकवादी हमले का सरगना रोहन इम्तियाज पिछले वर्ष नाईक का हवाला देकर फेसबुक पर दुष्प्रचार कर रहा था.