तेलंगाना मुद्दा : प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया

नयी दिल्ली : संसद के कामकाज के लगातार बाधित होने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भाजपा नेताओं को 12 फरवरी को रात्रिभोज पर अमंत्रित किया है, ताकि तेलंगाना विधेयक समेत अन्य भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों को संसद में पारित कराने के संबंध में उनसे समर्थन मांगा जा सके. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने स्वयं भाजपा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2014 1:12 PM

नयी दिल्ली : संसद के कामकाज के लगातार बाधित होने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भाजपा नेताओं को 12 फरवरी को रात्रिभोज पर अमंत्रित किया है, ताकि तेलंगाना विधेयक समेत अन्य भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों को संसद में पारित कराने के संबंध में उनसे समर्थन मांगा जा सके.

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने स्वयं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली को कल रात फोन किया और अपने आवास पर रात्रिभोज पर आमंत्रित किया.

उन्होंने कहा कि रात्रिभोज पहले आज के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन आडवाणी के उपलब्ध नहीं होने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया. आडवाणी अभी अपने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में हैं. खबरों के अनुसार, सरकार भाजपा के आंध्रप्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2013 में संशोधन की मांग पर सहमत हो गई है और ऐसी संभावना है कि प्रधानमंत्री बैठक के दौरान भाजपा नेताओं को आश्वस्त करेंगे कि सीमांध्र क्षेत्र के साथ न्याय किये जाने संबंधी उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जायेगा.

भाजपा ने तेलंगाना के गठन का समर्थन करने का अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी ने विधेयक का समर्थन करने के संबंध में शर्त लगाई है. पार्टी का कहना है कि विधेयक में सीमांध्र क्षेत्र के लोगों की चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए और कितना वित्तीय पैकेज प्रदान किया जायेगा, इसे स्पष्ट किया जाए.

तेलंगाना विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद एक-दो दिन में राज्यसभा में रखा जा सकता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को शुक्रवार को हरी झंडी दे दी थी और इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा था.बहरहाल, पांच फरवरी से संसद का विस्तारित शीतकालीन सत्र शुरु होने के बाद से ही तेलंगाना के मुद्दे पर कामकाज बाधित रहा है. चूंकि यह चुनाव से पहले संसद का अंतिम सत्र है, इसलिए सरकार आंध्रप्रदेश के बंटवारे की घोषणा के बाद विधेयक को पारित कराना चाहती है.

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