प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 से 12 नवंबर तक करेंगे जापान का दौरा

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 से 12 नवंबर तक जापान की यात्रा करेंगे. इस दौरान वह जापान के सम्राट से मिलेंगे और अपने जापानी समकक्ष शिंजो अबे के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन बैठक करेंगे, जिसमें असैन्य परमाणु करार पर दस्तखत हो सकते हैं. यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2016 2:47 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 से 12 नवंबर तक जापान की यात्रा करेंगे. इस दौरान वह जापान के सम्राट से मिलेंगे और अपने जापानी समकक्ष शिंजो अबे के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन बैठक करेंगे, जिसमें असैन्य परमाणु करार पर दस्तखत हो सकते हैं.

यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक एक ऐसा अवसर होगी जिसमें दोनों नेता ‘‘भारत तथा जापान के बीच विस्तृत एवं कार्योन्मुखी भागीदारी को और मजबूत करने के लिए पारस्परिक हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर गहराई से चर्चा करेंगे.’ असैन्य परमाणु सहयोग को मजूबत करने की इच्छा के साथ ही दोनों पक्ष उच्च प्रौद्योगिकी, सुरक्षा एवं अवसंरचना क्षेत्र सहित व्यापार में संबंधों को बढावा देने के तरीके भी खोजेंगे.

दिसंबर में पिछले शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों पक्ष करार पर एक आधारभूत समझौते पर पहुंचे थे और फैसला किया था कि वे भारत के संबंध में अंतरराष्ट्रीय असैन्य परमाणु करार सहयोग पर चर्चा जारी रखेंगे.

अधिकारियों के अनुसार मोदी की यात्रा के दौरान करार को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं जो तेजी सेबढ़ रही एशियाई अर्थव्यवस्था को परमाणु ऊर्जा संयंत्र प्रौद्योगिकी का निर्यात करने के वास्ते जापान के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा.

यदि यह करार हो जाता है तो जापान का यह एक ऐसे देश के साथ पहला असैन्य परमाणु करार होगा जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.

जापान दुनिया का एकमात्र देश है जिसने परमाणु बम हमले की त्रासदी को देखा है. वह भारत से आश्वासन मांग रहा है कि परमाणु प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों या परमाणु परीक्षणों के लिए नहीं करेगा.

सुरक्षा एवं रक्षा मोर्चे पर जापान समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दे सकता है क्योंकि चीन पूर्वी और दक्षिण चीन सागर तथा हिन्द महासागर में लगातार अपनी गतिविधियां बढा रहा है. दोनों देशों का अमेरिका के साथ पहले ही समुद्री त्रिगुट है.

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