नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि स्वच्छता आने वाले चुनाव में एक मुद्दा होगा क्योंकि शहरों और नगरों में रहने वाले लोग उन्हें वोट देंगे जो स्वच्छता पर ध्यान देंगे और ऐसे राजनीतिक प्रभावों से केंद्र के महत्वाकांक्षी ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी. शहरी विकास मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि राजग सरकार खुले में शौच से भारत को मुक्त बनाने समेत सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं के उद्देश्यों को साल 2019 तक हासिल कर लेगी. वेंकैया नायडू ने साक्षात्कार में कहा, ‘स्वच्छता लोगों से जुड़ा मुद्दा बन गया है. जैसे हम आगे बढेंगे यह राजनीतिक और यहां तक कि चुनावी मुद्दा बन जायेगा. शहरी क्षेत्रों के लोग उन्हें वोट देंगे जो स्वच्छता सुनिश्चित करेगा.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि जो राजनीतिक दल वोट हासिल करने का प्रयास करेंगे, वे इन बातों पर ध्यान देंगे. ये राजनीतिक प्रभाव इस महत्वपूर्ण मिशन की सफलता सुनिश्चित करेंगे.’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो वर्ष पहले स्वच्छ भारत अभियान पेश किया था और उन्होंने इसे जनांदोलन बनाने का आह्वान किया है. बहरहाल, वेंकैया नायडू ने इस बात पर जोर दिया है कि इस मिशन की सफलता के लिए शौचालयों का प्रयोग और कचरे को कूड़ापात्र में डालने की पहल महत्वपूर्ण है.
एक सवाल के जवाब में वेंकैया ने उन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया कि सरकार खुले में शौच से भारत को मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल करने की समयसीमा को पूरा नहीं कर पायेगा. उन्होंने कहा कि इस मिशन के उद्देश्यों को निश्चित तौर पर हासिल किया जायेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अभियान की 40 प्रतिशत अवधि के दौरान घरों में शौचालयों के निर्माण के लक्ष्य का 35 प्रतिशत पूरा कर लिया है.
उन्होंने कहा कि इसे लागू करने का काम सही दिशा में चल रहा है. वेंकैया ने कहा कि अभियान शुरू होने के बाद से लेकर शहरी क्षेत्रों में घरों में 22.97 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि गुजरात और आंध्रप्रदेश ने पहले ही अपने शहरी क्षेत्रों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया है और केरल जल्द ही इसकी घोषणा करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों ने अपने 405 शहरों एवं नगरों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है और काफी संख्या में अगले वर्ष मार्च तक खुले में शौच से मुक्त घोषित कर देंगे.
वेंकैया नायडू ने कहा, ‘मिशन के पहले वर्ष में प्रगति धीमी रही लेकिन पिछले एक वर्ष में इसने गति पकड़ी है. यह मुख्य रूप से लोगों में स्वच्छता के बारे में बढती जागरुकता और राज्यों एवं शहरी स्थानीय निकायों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना के कारण हुआ.’ मंत्री ने कहा कि देश में ठोस कचरा प्रबंधन शहरी क्षेत्रों के लिए एक बड़ी चुनौती थी और इस बारे में सरकार की पहल का भी जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि सरकार की शहरों एवं नगरों में 6.5 करोड़ टन ठोस कचरे के प्रबंधन की योजना है, साथ ही 50 लाख टन कम्पोस्ट और 4000 मेगावाट ऊर्जा वार्षिक रूप से तैयार करने की योजना है. वेंकैया ने कहा कि कचरे से धन (वेस्ट टू वेल्थ) परियोजनाओं को प्रोत्साहित करते हुए सरकार प्रत्येट टन कंपोस्ट तैयार करने पर 1500 रुपये का बाजार अनुदान देने जैसी पहल की है, साथ ही ठोस कचरे से तैयार बिजली खरीदना डिस्कॉम के लिए अनिवार्य बनाया गया है.
उन्होंने कहा कि स्वच्छता के बारे में सोचने का नजरिया निश्चित तौर पर बदल रहा है. जनांदोलन बनाने के दिशा में प्रयास करने की जरुरत है.