लेह/नयी दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर देमचोक क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक निर्माण कार्य को लेकर बुधवार से गतिरोध बना हुआ है. चीनी सैनिकों ने बुधवार को तब आपत्ति जतायी थी जब भारतीय सैनिक लेह के 250 किलोमीटर पूर्व में स्थित देमचोक में मनरेगा के तहत ग्रामीणों के लिए हॉट स्प्रिंग जल को जोड़ने के लिए एक सिंचाई नहर का निर्माण कर रहे थे. देमचोक के सामान्य क्षेत्र में स्थित हॉट स्प्रिंग स्थल पर बुधवार को सुबह 10 बज कर 55 मिनट पर भारतीय सेना और पीएलए के बीच गतिरोध पैदा हो गया जो रात तक जारी रहा.
चीनी सैनिकों ने एलएसी पर मोर्चा संभाल लिया और काम रोकने की मांग की. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को कोई निर्माण कार्य शुरू करने से पहले एक-दूसरे की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है. वहीं, भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच समझौते के अनुसार निर्माण कार्य के बारे में सूचना केवल तभी साझा करनी होती है, जब कार्य रक्षा उद्देश्यों से संबंधित हो. सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने बैनर लगा दिये हैं और वे वहां डटे हुए हैं. सेना तथा आइटीबीपी के जवान चीनी सैनिकों को एक इंच आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं. पीएलए दावा कर रही है कि यह क्षेत्र चीन का है. इस क्षेत्र में 2014 में भी ऐसी ही घटना हुई थी जब मनरेगा योजना के तहत निलुंग नाला पर सिंचाई नहर बनाने का फैसला किया गया था.
नहीं हुई घुसपैठ
घुसपैठ मामले को लेकर आज अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर छापी है जिसमें उसने कहा है कि भारतीय सेना ने घुसपैठ की खबर से इनकार किया है. अखबार ने छापा है कि आर्मी के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा है कि कोई चीनी घुसपैठ नहीं हुआ है, कंस्ट्रक्शन के मुद्दे को लेकर बॉर्डर पर्सनल मीटिंग और फ्लैग मीटिंग की जा रही है.आपको बता दें कि डेमचोक एरिया में नए चीनी घुसपैठ का मामला उस वक्त सामने आया है जब भारत ने तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा को चीन के विरोध के बावजूद अरुणाचल प्रदेश में जाने की इजाजत दे दी है.
वायुसेना का सी-17 ग्लोब मास्टर मेचुका में उतरा
इटानगर: अरुणाचल प्रदेश में देश की हवाई परिवहन क्षमता में बड़ा विस्तार हुई है. विशालकाय सी-17 ग्लोब मास्टर विमान गुरुवार को चीन-भारत सीमा से महज 29 किलोमीटर दूर मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर उतरा. केवल 4200 फुट लंबी लैंडिंग सतह के साथ 6200 फुट की ऊंचाई पर विमान उतरा और अधिक ऊंचाई पर कम स्थान में उतरने की अपनी क्षमता की पुष्टि की. अरुणांचल प्रदेश के वेस्ट सियांग जिले की यारग्याप घाटी में मेचुका स्थित एएलजी को हाल ही में उन्नत किया गया था. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित मेचुका 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान था. वायु सेना ने 1962 में डकोटा और ओटर के साथ इलाके में अपना अभियान शुरू किया था.