नयी दिल्ली : पठानकोट आतंकी हमले के दौरान संवेदनशील सूचनाओं का प्रसारण करने के मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रमुख हिंदी न्यूज चैनल ‘एनडीटीवी इंडिया’ पर कार्रवाई करते हुए प्रसारण 9 नवंबर को एक दिन बंद करने का आदेश दिया है जिसके बाद मोदी सरकार की आलोचना चारो ओर हो रही है. एनडीटीवी इंडिया ने इस मामले में अपना पक्षा रखा है. चैनल ने कहा है कि सभी समाचार चैनलों व अखबारों की खबरें एक जैसी थी, वास्तविकता में हमारा कवरेज विशेष रूप से संतुलित था. वहीं, एडिटर्स गिल्ड ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के इस फैसले की आलोचना की है .एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राज चेंगप्पा, महासचिव प्रकाश दुबे व कोषाध्यक्ष सीमा मुस्तफा के नाम से जारी एक साझा बयान में कहा गया है कि यह मीडिया की स्वतंत्रता का अतिक्रमण है.एडिटर्स गिल्ड नेबैनवापस लेने की मांग की है. वहीं, इस मामले में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का भी पक्ष आया है. भाजपा नेता शहनवाज हुसैन नेसरकारका बचाव करते हुए कहा है कि इस तरह का निर्णय एक कमेटी करती है, जो देखती है कि ऐसा कुछ नहीं हो जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो.
मंत्रालय की ओर से यह कार्रवाई एक अंतर मंत्रालयी समिति की सिफारिश के बाद की गई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, समिति ने अपनी जांच में पाया है कि ‘एनडीटीवी इंडिया’ ने पठानकोट में एयरबेस पर आतंकी हमले के दौरान महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक रूप से संवेदनशील सूचनाओं का प्रसारण अपने चैनल में किया.
समिति की सिफारिश पर मंत्रालय ने केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग किया और एक दिन के लिए चैनल को 9 नवंबर 2016 को रात 12:01 बजे से 10 नवंबर 2016 को रात 12:01 बजे तक चैनल के प्रसारण पर बैन लगा दिया है. आतंकी हमले की कवरेज के मामले में किसी चैनल के खिलाफ की गई यह अपनी तरह की पहली कार्रवाई है.
‘एनडीटीवी इंडिया’ पर इस कार्रवाई के बाद ट्विटर पर लगातार लोगों की प्रतिक्रिया मिल रही है. Om Thanvi ने ट्वीट किया कि NDTV इंडिया पर प्रतिबंध अघोषित इमरजेंसी का पैग़ाम है. प्रतिबंध के रोज़ हर चैनल व हर अख़बार को प्रतिरोध में अपने परदे/पन्ने काले रखने चाहिए….
आम आदमी पार्टी के नेता और पहले पत्रकार रह चुके आशुतोष ने ट्वीट किया कि यह समय है जागने का… मीडिया हाऊस के लोगों को एक होकर इसका विरोध करना चाहिए… यदि अभी घुटने टेक दिए गए तो मीडिया की आजादी खत्म हो जाएगी…
NDTV इंडिया पर प्रतिबंध अघोषित इमरजेंसी का पैग़ाम है। प्रतिबंध के रोज़ हर चैनल व हर अख़बार को प्रतिरोध में अपने परदे/पन्ने काले रखने चाहिए।
— Om Thanvi | ओम थानवी 🌹 (@omthanvi) November 3, 2016
मोहम्मद तनवीर ने ट्वीट किया #NDTV चैनल की पत्रकारिता को सलाम,आपातकाल में भी कई पत्रकारों को सच बोलने पर प्रतिबन्ध झेलना पड़ा था,यह भी अघोषित आपातकाल ही है…..
Time to wake up. Who is govt to shut NDTV ? All TV/media houses should protest. If succumbed today there will be no media freedom.
— ashutosh (@ashutosh83B) November 3, 2016
इस फैसले पर एनडीटीवी ने अपना पक्ष रखा है, जो शब्दश: इस प्रकार है :
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का आदेश प्राप्त हुआ है. बेहद आश्चर्य की बात है कि NDTV को इस तरीके से चुना गया. सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी. वास्तविकता में NDTV की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी. आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से NDTV पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है. इसके मद्देनजर NDTV इस मामले में सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है.