जहरीले धुएं का कोहरा, स्कूल बंद, सरकार को NGT की फटकार
नयी दिल्ली : दीपावली के दिन जलाये गये पटाखों का धुआं अभी भी दिल्ली के आसमान में प्रदूषण दानव के रूप में नजर आ रहा है. राजधानी में सुबह जो कुहासा छाया हुआ था वह और कुछ नहीं दीपावली की पटाखों का धुआं हैं. कुहासा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना […]
नयी दिल्ली : दीपावली के दिन जलाये गये पटाखों का धुआं अभी भी दिल्ली के आसमान में प्रदूषण दानव के रूप में नजर आ रहा है. राजधानी में सुबह जो कुहासा छाया हुआ था वह और कुछ नहीं दीपावली की पटाखों का धुआं हैं. कुहासा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है. एहतियातन दिल्ली और गुरुग्राम के स्कूलों में एक दिन छुट्टी कर दी गयी है. दिल्ली में प्रदूषण का एक मुख्य कारण कुड़े के पहाड़ों को लगा आग भी है. टीवी रिपोर्ट के मानें तो दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पिछले 17 सालों के रिकार्ड को तोड़ चुका है.
मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि प्रदूषण को कम करने के लिए कचरा का उचित प्रबंधन आवश्यक है. उन्होंने कहा कि कचरा जलाने के बदले कुछ और उपाय से निपटाया जाता चाहिए. नगर निगम को उचित निर्देश दिया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली को इस प्रदूषण से मुक्त करने में करीब 15 से 20 दिन का समय लगेगा. दीपावली के दिन से राष्ट्रीय राजधानी को अपनी गिरफ्त में लेने वाला विगत 17 वर्षों का सबसे खतरनाक धुंध आज भी बरकरार है.
राष्ट्रीय राजधानी की संपूर्ण वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ और ‘बेहद खराब’ श्रेणियों के बीच झूलती रही. मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शांत वायु गतिविधि और कुहासे की दशा की वजह से प्रदूषक बमुश्किल छितरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हालात में अगले तीन-चार दिनों में सुधार हो सकता है. सफर (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के अनुसार पीएम 2.5 और पीएम 10 का 24 घंटे का औसत क्रमश: 225 और 389 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा. सफर के आठ स्टेशनों में से छह पर हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी के दायरे में रही जबकि दो में गुणवत्ता गंभीर रही.
एनजीटी ने केंद्र व दिल्ली सरकार को लगायी फटकार
बच्चों को हम किस तरह का भयावह भविष्य दे रहे हैं, यह कहते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के ऊपर धुंध छाए रहने की पिछले 17 साल में सबसे बदतर स्थिति के बीच खतरनाक वायु प्रदूषण स्तर को नियंत्रण में करने के लिए कदम नहीं उठाने और केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा एक दूसरे पर ‘दोषारोपण’ करने को लेकर नाराजगी जाहिर की. अधिकरण के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार ने कहा, ‘आपके लिए दिल्ली के लोग मायने नहीं रखते लेकिन हमारे लिए वे मायने रखते हैं. हमसे जो कुछ भी बन पड़ेगा, हम करेंगे.’
साथ ही कहा, ‘जरा ये तो देखिए कि हम अपने बच्चों को कैसा भविष्य दे रहे हैं. यह खौफनाक है.’ हालात की तुलना ‘आपातकाल’ से करते हुए अधिकरण ने कहा कि केंद्र, दिल्ली सरकार और अन्य प्राधिकार को बढ़ते वायु प्रदूषण की तथा दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणाम की कोई परवाह नहीं है और एक दूसरे पर दोष मढने का काम हो रहा है. टिप्पणी करते हुए कि स्वास्थ्य ‘प्राथमिक चिंता की वजह है’.
पीठ ने क्षोभ जताया कि 10 साल पुरानी डीजल गाडि़यों का चलन रोकने के लिए दिल्ली सरकार को दिये गये उसके आदेश को समुचित तरीके से लागू नहीं किया गया. पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया, ‘10 साल से पुरानी सभी डीजल गाडि़यों को सड़क से हटाया जाना चाहिए.’ पीठ ने कहा, ‘दुनिया में हम अपनी राजधानी को क्या नाम कर रहे हैं. यह बेहद दुखद है.’ पीठ ने कहा, ‘हम समझ सकते हैं कि नगर निकायों, दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच प्रशासनिक संघर्ष है. लेकिन आप हमें बताइये कौन अपना काम नहीं कर रहा. यह दिल्ली के लोगों के साथ अन्याय है. हर चीज में प्रशासन अपने हाथ खड़े कर देता है. हमें कुछ करना है. आप यह नहीं कह सकते कि वक्त इसे करेगा.’
केजरीवाल ने DPCC से पूछा कि क्या प्रदूषण रोकने के लिए विशेषज्ञ लगाये
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महानगर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के मामले में डीपीसीसी द्वारा उठाये गये कदमों पर ‘गहरी नाखुशी’ जताई और इसे निर्देश दिया कि स्थिति से निपटने के लिए किसी विशेषज्ञ एजेंसी की सेवा लेने की संभावना तुरंत तलाश करे. केजरीवाल ने यहां कैबिनेट की बैठक की जहां डीपीसीसी के अधिकारियों ने स्थिति को लेकर अपनी रिपोर्ट दी. मुख्यमंत्री ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को निर्देश दिया कि सोमवार को फिर से प्रेजेंटेशन दे कि बढ़ते प्रदूषण से कैसे निपटा जाए. उन्होंने डीपीसीसी को कार्य योजना भी पेश करने को कहा.