नोट बंदी : दूल्हे ने कहा- शादी का उत्सव एक बुरे सपने में बदल गया

नयी दिल्ली : पांच सौ और हजार रुपये के बडे नोटों के चलन से बाहर होने से फौरी तौर पर नकदी की कमी हो गयी है, और इसके साथ ही शादी विवाह का उत्सव कर पाना काफी कठिन काम हो गया है. ‘‘क्या मुझे टेंटवाले और सुनार को पहले ही पैसा दे देना चाहिये था?” […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2016 3:02 PM

नयी दिल्ली : पांच सौ और हजार रुपये के बडे नोटों के चलन से बाहर होने से फौरी तौर पर नकदी की कमी हो गयी है, और इसके साथ ही शादी विवाह का उत्सव कर पाना काफी कठिन काम हो गया है. ‘‘क्या मुझे टेंटवाले और सुनार को पहले ही पैसा दे देना चाहिये था?” मुझे रोज यही दुविधा रहती है. नोट बंद करने के लिए सरकार का शुक्रिया…. मेरे पास लोगों को चुकाने के लिए ज्यादा नकदी नहीं है.

राजेन्द्र गुप्ता की शादी 24 नवंबर को तय है. उन्होंने कहा ,‘‘कल मेरे दरवाजे पर कुछ लोग पैसा लेने के लिए दस्तक दे रहे थे. दरवाजे के ठीक बाहर का माहौल रोमांच से भरा है. शादी का उत्सव एक बुरे सपने में बदल गया है. उन्होंने सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुये कहा कि समस्या नये नोटों को लाने के बारे में सही प्रबंधन नहीं होने के कारण है. उन्होंने कहा, ‘‘आप लोग यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि जिसके घर में शादी होने वाली हो, वह जाकर नोट बदलने की लंबी कतार में खडा रहे? अगर वह ऐसा करता भी है, तो उसे 10,000 या इससे कम रुपये ही मिलेंगे, जिससे उसका शादी का खर्च निकालने का लक्ष्य पूरा नहीं होगा.” शादी विवाह के इस मौसम में कारोबारियों का सबसे ज्यादा कारोबार होता है, लेकिन बाजार में नकदी नहीं होने से समस्यायें उत्पन्न हो गयी है. उल्लेखनीय है कि राजधानी में बारात में शामिल होने वाले अनेक बैंड अपने ग्राहकों को पूरा पैसा चुकाने के लिए ‘एक माह’ की समयसीमा दे रहे हैं, लेकिन अभी लोगो के पास पूर्व में भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है.

टैगोर गार्डन में शादी विवाह कराने वाले सिन्धी हीरानंद बैंड के मालिक पंकज ने कहा, ‘‘लोगों के पास नई नकदी नहीं है, इसलिये हमारा कारोबार प्रभावित हो रहा है.” उल्लेखनीय है कि भारतीय शादियां असाधारण व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन शादी विवाह की दावतों के लिए व्यंजन बनाने वाले कैटरर्स भी आर्डर रद्द होने की समस्या से जूझ रहे हैं. रॉयल कैटरर्स के मनोज ने बताया, ‘‘कुछ लोग मुझे सिर्फ यह बताने के लिए फोन कर रहे हैं कि हम लोग पैसा देने की हालत में नहीं है, इसलिये वह अपना आर्डर रद्द कर रहे हैं. मेरे यहां काम करने वाले दिहाडी कर्मचारी हैं और मुझे भी नहीं पता कि मैं उन्हें भुगतान कैसे करुंगा.” विमुद्रीकरण के बाद 500 और हजार रुपये के नोट लेने अथवा इन्हें बदलने के लिए कोई भी तैयार नहीं है. उन्होंने बताया, ‘‘मैं कतार में खडा नहीं होना चाहता. पहले पुराने नोटों को जमा कराने के लिए कतार लगाइये और फिर उन्हें बदलने के लिए कतार में खडे हो जाइये। इसके बावजूद आपके पैसा निकालने की समयसीमा तय है.”

शादी विवाह के कपडे बेचने वाले दुकानदार ने बताया कि हमारे यहां भी खरीदारों की कमी है. एक दुकानदार ने कहा, ‘‘खर्च करने के लिए बहुत कम पैसे हैं. कपडे खरीदना उनकी सूची में सबसे अंत में है. वह लोग अन्य चीजों में खर्च करते हैं, लेकिन हमारे यहां खरीदारों की कमी है और इस समय हमारे कारोबार में करीब 80 फीसद तक की गिरावट आई है.”

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